मध्य प्रदेश सरकार की संबल योजना (MP Sambal Yojana) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि योजना के तहत गरीबों को दी जाने वाली मदद में कर्मचारियों ने अपने करीबी लोगों को करोड़ों रुपये बांट दिए।
HighLights
- संबल योजना में 67.40 लाख श्रमिकों को अपात्र बताकर बाहर किया गया।
- कर्मचारियों ने अपनों को करोड़ों रुपये दे दिए, सीएजी रिपोर्ट में खुलासा।
- अनुग्रह सहायता में भी गड़बड़ी, निधन के बाद पंजीकृत व्यक्तियों को भुगतान।
राज्य ब्यूरो, Newsstate24, भोपाल (MP Sambal Yojana)। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए लागू मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में कई अनियमितताएँ सामने आई हैं। कई पात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ देने के बजाय कर्मचारियों ने धनराशि का दुरुपयोग किया और अपने तथा रिश्तेदारों के नाम पर करोड़ों रुपये जमा किए।
संबल योजना के अंतर्गत श्रमिकों को 5 हजार रुपये अंत्येष्टि सहायता, 2 लाख रुपये सामान्य मृत्यु सहायता, 4 लाख रुपये दुर्घटना मृत्यु सहायता, 1 लाख रुपये आंशिक दिव्यांगता सहायता और 2 लाख रुपये स्थायी दिव्यांगता सहायता प्रदान की जाती है।
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67.40 लाख श्रमिकों को बाहर किया गया
67.40 लाख श्रमिकों को अपात्र बताकर योजना से बाहर किया गया। सत्यापन के दौरान 14.34 लाख श्रमिकों के अपात्र होने का कारण भी स्पष्ट नहीं किया गया। इस प्रकार की कई अन्य अनियमितताएँ भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा सोमवार को विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में उजागर हुईं।
2.18 करोड़ लोगों का योजना में रजिस्ट्रेशन हुआ था
कैग ने सबसे पहले यह पाया कि योजना में आयु और असंगठित श्रमिक के रूप में पंजीकरण के लिए पात्रता की पुष्टि के बिना ही 2.18 करोड़ लोगों का पंजीकरण किया गया। जून 2019 में किए गए पात्रता सत्यापन में 67.40 लाख श्रमिकों को ढाई एकड़ से अधिक भूमि, सरकारी सेवा, करदाता आदि के आधार पर अपात्र घोषित किया गया।
अपात्रों के योजना में शामिल होने के कारण 1.14 करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान हुआ। अनुग्रह सहायता में भी गड़बड़ी की गई। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़वानी जिले की सेंधवा और राजपुर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने सहायक ग्रेड दो कर्मचारी पुष्पेंद्र यादव के रिश्तेदारों और अन्य असंबंधित व्यक्तियों के नामों और बैंक खातों के माध्यम से 77.97 लाख रुपये 23 लेन-देन के तहत जमा किए।
पुष्पेंद्र यादव जनवरी 2020 तक राजपुर और फिर सेंधवा जनपद पंचायत में लेखापाल के रूप में कार्यरत था। दोनों जनपद पंचायतों में जनपद पंचायत निधि, ग्राम पंचायत भवन संधारण, निर्वाचन, राष्ट्रीय परिवार सहायता, मध्याहन भोजन, बस्ती विकास योजना और बैंक खाते में अर्जित ब्याज के तहत 1.69 करोड़ रुपये निकाले गए और पुष्पेंद्र यादव तथा चार अन्य व्यक्तियों के खातों में जमा किए गए। इसी तरह, नदी में डूबने, घर में आग लगने और सांप काटने के कारण हुई मौतों के बाद भी अनुग्रह राशि जारी की गई, जबकि इसके लिए कोई प्रावधान नहीं था।
72.60 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया
ऐसे श्रमिकों के नाम पर अंत्येष्टि सहायता और अनुग्रह राशि का भुगतान किया गया, जो असंगठित श्रमिक के रूप में पंजीकृत नहीं थे। अर्थात मृत लाभार्थी के विवरण का सत्यापन नहीं किया गया। संबल योजना के लाभार्थियों को 72.60 लाख रुपये का भुगतान राष्ट्रीय परिवार सहायता में भी कर दिया गया।
एफआईआर के बिना सहायता दी गई
अनुग्रह सहायता के लिए आवेदन के साथ एफआईआर होना आवश्यक है, लेकिन कई मामलों में यह अनुपस्थित थी फिर भी सहायता दी गई। इन्हें सामान्य मृत्यु के मामले में दो लाख रुपये की सहायता दी जानी चाहिए थी, लेकिन चार लाख रुपये के अनुसार दी गई। इससे 1.72 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हो गया।
कई मामलों में दोहरा भुगतान किया गया, और मृत्यु के बाद पंजीकृत व्यक्तियों को भुगतान किया गया। इसके विपरीत, पंजीकृत असंगठित श्रमिक या उनके उत्तराधिकारी को पात्रता के बावजूद भुगतान नहीं किया गया।
इस स्थिति में पात्र व्यक्तियों को 2.20 करोड़ रुपये की सहायता नहीं मिल सकी। सरकार ने जांच करने और दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, लेकिन आगे की कार्रवाई की स्थिति स्पष्ट नहीं हुई।