बुरहानपुर, मध्य प्रदेश में असीरगढ़ किले के पास स्थित यह गाँव में एक उत्सव चल रहा है जो दो दिनों से चल रहा है। यह पूरी घटना बिना सोचे-समझे दुखद है। जनता की भीड़ ने अफवाह के कारण भूमि खोदने का कार्य आरंभ किया था। इस स्थान पर प्रशासन भी हैरान और चिंतित है।

चर्चित विषय
- ग्रामीणों ने सोने के सिक्कों की खोज के लिए कई एकड़ खेत उजाड़ डाले हैं।
- असीरगढ़ किले के पास शाम से देर रात तक खुदाई करने उमड़ रही है भीड़।
- कई लोगों को सिक्के मिलने की अफवाह, मेटल डिटेक्टर का भी उपयोग हो रहा है।
संदीप परोहा, बुरहानपुर। मुगलकालीन सोने-चांदी के सिक्कों की खोज के लिए इन दिनों असीरगढ़ किले के आसपास सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण खोदाई कर रहे हैं। यहाँ की जनसंख्या बताई जा रही है कि पांच सौ से ज्यादा है। शाम के समय ग्रामीण जल्दी ही टार्च, फावड़ा, कुदाली, मिट्टी छानने का सामान लेकर पहुंच जाते हैं। उसके बाद, रात के दो-तीन बजे तक सोने की खोज कार्य जारी रहता है। इस खोज में पुरुषों के साथ महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं।
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मुगलकालीन सिक्के मिलने का दावा
रात के समय असीरगढ़ किले के आसपास के खेतों में टार्चों की रोशनी के कारण दूर से किसी बस्ती होने का अंदाजा होता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई लोगों को मुगलकालीन सोने के सिक्के मिले हैं, लेकिन कोई स्पष्टतः इसे स्वीकार नहीं कर रहा है। बताया जाता है कि कुछ लोग सोने के भंडार खोजने के लिए मेटल डिटेक्टर का भी प्रयोग कर रहे हैं। दिन के समय में खेतों में हजारों की संख्या में गड्ढे दिखाई देते हैं। इस विषय में अब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा कोई नकारात्मक कार्यवाही नहीं देखी गई है।
सोने के लालच में की गई खोदाई से कई एकड़ जमीन में हुए बड़े-बड़े गड्ढे।
तीन माह पूर्व हुई थी खुदाई की शुरुआत
- असीरगढ़ किले के पास सिक्कों के लिए खोदाई का सिलसिला लगभग तीन महीने पहले शुरू हुआ था।
- तब इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाइवे पर चल रही खुदाई में सोने के सिक्के मिलने की अफवाह फैली थी।
- सूत्रों के अनुसार इस दौरान दो किसानों को चार किलो सोना मिला था, लेकिन पुलिस की जांच में कुछ भी सामने नहीं आया था।
- इसके बाद से किले के आसपास के खेतों में खोदाई का काम शुरू हो गया था।
- बीते दस दिनों से यह सिलसिला तेज हो गया है। अब वहां करीब पांच सौ लोग खोदाई के लिए पहुंच रहे हैं।
रात के समय टार्च की रोशनी में जमीन की खोदाई करते सैकड़ों ग्रामीण।
मुगलकाल में किले के पास था टकसाल
- पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद (डीएटीसी) के सदस्य शालिकराम चौधरी और कमरुद्दीन फलक के अनुसार मुगलकाल में असीरगढ़ किले के पास सोने व चांदी के सिक्के ढालने वाला टकसाल हुआ करता था।
- इसके चलते इसके आसपास बड़ी मात्रा में सिक्के रखे जाते थे। बताया जाता है कि युद्ध के दौरान इसके नष्ट हो जाने के कारण कई जगह सोने के भंडार दबा रह गया।
- यही अब लोगों को खोदाई में मिल रहा है। शालिकराम चौधरी बताते हैं करीब ढाई सौ साल तक वहां टकसाल था।
- इसमें मुगलकाल से सिंधिया काल तक सिक्के ढलते थे। दुर्लभ वस्तुओं के संग्रहकर्ता डा. मेजर गुप्ता व अन्य लोगों के पास भी ऐसे सिक्के मौजूद हैं।
- उन्होंने मांग की है कि प्रशासन को मेटल डिटेक्टर के माध्यम से इस स्वर्ण भंडार को खोज कर राजकोष में जमा कराना चाहिए।
असीरगढ़ किले के पास स्थित मुगल शासकों की सिक्के ढालने वाली टकसाल।
हम मौके पर जाकर देखेंगे कि क्या स्थिति है। यदि ऐसा कुछ पाया जाता है तो विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराआ आगे की कार्रवाई की जाएगी। ऐतिहासिक सिक्के सरकार की धरोहर होते हैं।
– विपुल मेश्राम, प्रभारी अधिकारी पुरातत्व विभाग।
हमने पूर्व में प्रशासन को चेताया था कि सोने के लालच में कोई बड़ी घटना हो सकती है, लेकिन अफसरों ने इसे गंभीरता से