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केवल एक ब्लड टेस्ट से यह जानना संभव है कि भविष्य में आपको डिमेंशिया हो सकता है।

डिमेंशिया के लिए ब्लड टेस्ट: डिमेंशिया का मतलब है याददाश्त का ह्रास। यह समस्या मुख्यतः वृद्ध … केवल एक ब्लड टेस्ट से यह जानना संभव है कि भविष्य में आपको डिमेंशिया हो सकता है।Read more

health tips dementia can be detected early through blood test Study सिर्फ एक ब्लड टेस्ट और पता लग जाएगा क्या भविष्य में आपको हो सकता है डिमेंशिया

डिमेंशिया के लिए ब्लड टेस्ट: डिमेंशिया का मतलब है याददाश्त का ह्रास। यह समस्या मुख्यतः वृद्ध लोगों में देखी जाती है, लेकिन अब यह कम उम्र के लोगों में भी बढ़ रही है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, ब्लड टेस्ट की मदद से डिमेंशिया का पता जल्दी लगाया जा सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि इडियोपैथिक आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (iRBD) के कारण लोग अपने सपनों को नींद में ही जीते हैं। यह डिसऑर्डर पार्किंसंस रोग और लेवी बॉडीज के साथ डिमेंशिया का उच्च जोखिम पैदा करता है। यह डिमेंशिया का एक प्रकार है जो अक्सर मेमोरी लॉस का कारण बनता है और पार्किंसंस जैसी समस्याएं भी उत्पन्न करता है।

मैकगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह पाया कि अल्जाइमर का पता लगाने के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया ब्लड टेस्ट iRBD स्लीप डिसऑर्डर वाले मरीजों में लेवी बॉडीज के साथ डिमेंशिया विकसित होने की संभावनाओं का भी पता लगा सकता है। यह टेस्ट दो प्रोटीन का विश्लेषण करता है, जो अल्जाइमर के लिए बायोमार्कर के रूप में कार्य करते हैं।

डिमेंशिया का जल्दी पता लगाने का तरीका

मैकगिल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के क्लिनिकल शोधकर्ता डॉ. रोनाल्ड पोस्टुमा ने बताया कि 150 iRBD मरीजों के ब्लड में बायोमार्कर की जांच की गई और उनका स्वास्थ्य एक साल तक ट्रैक किया गया। चार साल पहले किए गए ब्लड टेस्ट में लगभग 90 प्रतिशत मरीजों में बाद में डिमेंशिया होने की संभावना की भविष्यवाणी की गई थी। इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि पार्किंसंस और अल्जाइमर के प्रारंभिक चरणों में समानताएँ पाई जाती हैं।

क्या कहते हैं रिसर्च

इस रिसर्च की लेखिका डॉ. एलाइन डेल्वा ने कहा कि यह अध्ययन दर्शाता है कि अल्जाइमर के इलाज का परीक्षण इस नींद डिसऑर्डर वाले मरीजों पर भी किया जा सकता है। यदि उपचार समय पर शुरू किया जाए तो लेवी बॉडीज के साथ डिमेंशिया को रोका जा सकता है। शोध टीम ने इस बात की पुष्टि करने के लिए अध्ययन को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है कि यह टेस्ट पार्किंसंस रोग के मरीजों और लेवी बॉडीज के साथ डिमेंशिया के जोखिम वाले अन्य लोगों में डिमेंशिया के खतरे की कितनी सटीक भविष्यवाणी कर सकता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मतों और तथ्यों पर आधारित है। यह बताना आवश्यक है कि ABPLive.com किसी भी प्रकार की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को लागू करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb