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ब्रिटेन में बढ़ता इबोला वायरस जैसा गंभीर संक्रमण, वैश्विक स्तर पर कितना खतरा पैदा कर सकता है?

इबोला वायरस एक खतरनाक संक्रमणकारी वायरस है, जो ब्लीडिंग बुखार का कारण बनता है। यह वायरस … ब्रिटेन में बढ़ता इबोला वायरस जैसा गंभीर संक्रमण, वैश्विक स्तर पर कितना खतरा पैदा कर सकता है?Read more

ebola virus disease the UK critical care perspective read full article in hindi ब्रिटेन में फैल रहा इबोला वायरस जैसा खतरनाक संक्रमण, दुनिया के लिए कितना खतरनाक?

इबोला वायरस एक खतरनाक संक्रमणकारी वायरस है, जो ब्लीडिंग बुखार का कारण बनता है। यह वायरस इंसानों और अन्य प्राइमेट्स को प्रभावित करता है। इबोला वायरस से उत्पन्न होने वाली बीमारी को इबोला रक्तस्रावी बुखार (ईवीडी) के रूप में जाना जाता है। यह एक Rare लेकिन भयानक बीमारी है, जो गंभीर प्रकोप का कारण बन सकती है, खासकर अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में। यह संक्रमित जानवरों या लोगों के शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, चकत्ते, उल्टी, और रक्तस्राव शामिल हैं। यदि आप इबोला के संपर्क में आए हैं और लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।

**इबोला एक गंभीर बुखार है**

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इबोला एक प्रकार का वायरल रक्तस्रावी बुखार है, जो इबोलावायरस जीनस के कई वायरसों के कारण होता है। इसके लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन ये गंभीर उल्टी, रक्तस्राव, और न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क और तंत्रिका) समस्याओं का रूप ले सकते हैं।

इबोला वायरस चमगादड़, गैर-मानव प्राइमेट्स, और मृग से मनुष्यों में फैल सकता है। इसके बाद यह व्यक्ति से व्यक्ति में फैलता है और प्रकोप का कारण बन सकता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग एक ही समय में संक्रमित हो जाते हैं। प्रकोप अधिकतर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में होते हैं।

**इबोला वायरस की बीमारी क्या है?**
इबोला वायरस रोग (ईवीडी) इबोलावायरस (विशेष रूप से, ज़ैरे इबोलावायरस) के कारण होने वाली बीमारियों में से एक है, जिसे “इबोला” के नाम से जाना जाता है। यह इबोला प्रकोप और मौतों का सबसे सामान्य कारण है। शोधकर्ताओं ने केवल ईवीडी के खिलाफ वैक्सीन और उपचारों की प्रभावकारिता का परीक्षण किया है, न कि अन्य प्रकार के इबोला का।

**इबोला कितने प्रकार के होते हैं?**
इबोला का कारण बनने वाले वायरस का नाम उस स्थान के नाम पर रखा जाता है, जहां इसे पहली बार पहचाना गया था। ज़ैरे इबोलावायरस इबोला वायरस रोग (ईवीडी) का कारण बनता है। इसके अलावा, सूडान वायरस, जिसे सूडान इबोलावायरस के रूप में भी जाना जाता है, सूडान वायरस रोग (एसवीडी) का कारण है। ताई फ़ॉरेस्ट वायरस के रूप में भी जाना जाने वाला ताई फ़ॉरेस्ट इबोलावायरस ताई फ़ॉरेस्ट वायरस रोग (टीएएफवी) का कारण बनता है।

**इबोला के कितने प्रकार हैं?**
इबोला दुर्लभ है, लेकिन इसका प्रकोप तब से नियमित रूप से होता रहा है जब से 1976 में ज़ैरे (अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो) में इबोलावायरस की पहचान की गई थी। अधिकांश प्रकोप ज़ैरे इबोलावायरस और सूडान इबोलावायरस के कारण होते हैं। सबसे बड़ा इबोला प्रकोप ज़ैरे इबोलावायरस का 2014-2016 का प्रकोप था, जिसमें कुल 10 देशों में 28,646 मामले और 11,323 मौतें दर्ज की गई थीं।

**इबोला बीमारी के लक्षण क्या हैं?**
इबोला के लक्षणों में तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, त्वचा के नीचे लाल चकत्ते या रक्त के धब्बे (पेटीकिया या परपुरा), थकान और कमजोरी, भूख न लगना, उल्टी या दस्त शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, रक्तस्राव या चोट लगना, और लाल या रक्त से भरी आंखें भी इबोला के लक्षण हो सकते हैं।

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कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb