### होली की पूजा की विधि
होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को “छोटी होली” या “होलिका दहन” कहा जाता है, जबकि दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है।
#### होलिका दहन की पूजा
होलिका दहन के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन अपने घर में गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्तियाँ बनाना आवश्यक है।
#### परिक्रमा का महत्व
होलिका दहन के समय, कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटा जाता है। यह एक परंपरा है जो पूजा के दौरान की जाती है।
#### पूजा की प्रक्रिया
इसके बाद, एक लोटे में जल लेकर पूजा की वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को अर्पित करना चाहिए। इस दौरान भगवान नवसिंह और विष्णु जी की आराधना भी की जाती है।
#### पूजन सामग्री
होलिका की अग्नि में रोली, अक्षत और पुष्प का प्रयोग किया जाता है। इन्हें गंध-पुष्प के साथ पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करने में शामिल किया जाता है।
#### पूजा का फल
मान्यता है कि होलिका दहन के समय विधिवत पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं और उसके परिवार के सदस्यों की बुरी नजरों से रक्षा होती है।
### निष्कर्ष
इस त्योहार की पूजा विधि न केवल धार्मिक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और प्रेम का प्रतीक भी है। होली को मनाने का यह तरीका हमें एकजुट होने और खुश रहने की प्रेरणा देता है।
**प्रकाशित तिथि:** 13 मार्च 2025।