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‘छाया की तरह राजस्थान के योद्धाओं पर बनेंगी फ़िल्में’: स्त्री फ़िल्म के ‘जना’ ने कहा- लोग 2 घंटे की रील देख लेते हैं, थियेटर में लाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी।

‘छावा’ जैसी फिल्मों की सफलता को देखते हुए, यह यकीन करना मुश्किल नहीं है कि आने … ‘छाया की तरह राजस्थान के योद्धाओं पर बनेंगी फ़िल्में’: स्त्री फ़िल्म के ‘जना’ ने कहा- लोग 2 घंटे की रील देख लेते हैं, थियेटर में लाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी।Read more

‘छावा की तरह राजस्थान के वीरों पर बनेंगी फिल्में’:स्त्री फिल्म के ‘जना’ बोले- लोग 2 घंटे रील देख लेते हैं, थियेटर में लाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी

‘छावा’ जैसी फिल्मों की सफलता को देखते हुए, यह यकीन करना मुश्किल नहीं है कि आने वाले वर्षों में राजस्थान के वीरों की कहानियों पर भी शानदार फिल्में बनेंगी। राजस्थान की मिट्टी में ना केवल ऐतिहासिक तत्व हैं, बल्कि सिनेमा के लिए भी बहुत सारी अद्भुत कहानियाँ छिपी हुई हैं। बस, इन्हें सही तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। यह कहना है IIFA 2025 अवॉर्ड शो के दौरान जयपुर में आए एक्टर और कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी का। अभिषेक ने “स्त्री” में जना और “पाताललोक” सीजन 1 में हथौड़ा त्यागी का किरदार निभाया है। उन्होंने भास्कर के साथ एक विशेष बातचीत की, जिसमें उन्होंने कई विषयों पर चर्चा की।

**भास्कर**: जयपुर में IIFA का आयोजन पहली बार हुआ। यहाँ होस्ट करने का आपका अनुभव कैसा रहा?
**अभिषेक**: मैंने पहले भी IIFA रॉक्स (दुबई) में होस्ट किया है। जयपुर में होस्ट करना मेरे लिए काफी मनोरंजक अनुभव रहा। होस्टिंग के दौरान, मेरा ध्यान दर्शकों को बोर न करने पर रहता है। मैं हमेशा स्क्रिप्ट के बजाय ऑडियंस को जोड़ने की कोशिश करता हूँ। पेशेवर रूप से मैं एंटरटेनर हूँ, इसलिए मेरा धर्म है कि मैं लोगों का मनोरंजन करूँ। राजस्थान और जयपुर मेरे पसंदीदा राज्यों में से एक हैं। यहाँ की संस्कृति, खानपान और लोग अद्भुत हैं। मुझे खुशी है कि हम IIFA का 25वां साल यहाँ मना रहे हैं।

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**भास्कर**: कास्टिंग डायरेक्टर से एक्टर बनने तक का सफर कैसा रहा?
**अभिषेक**: मैं इसे स्ट्रगल नहीं कहूँगा, बल्कि काम करने का अनुभव कहूँगा। जब मैं मुंबई आया, तब से ही किसी न किसी काम में लगा रहा। मैंने हमेशा अपनी मेहनत और समर्पण से काम किया। आज जो प्यार मुझे मिल रहा है, वह उसी समर्पण का परिणाम है। मैं IIFA का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे मान्यता दी और मुझे इस बड़े मंच पर होस्टिंग का अवसर दिया।

**भास्कर**: इरफान खान के काम से आप कितने प्रभावित हैं?
**अभिषेक**: मैं बहुत दुर्भाग्यशाली हूँ कि उनके साथ काम करने का मौका नहीं मिला। वह एक महान कलाकार थे और उनकी प्रेरणा हमारे लिए हमेशा बनी रहेगी। उनका जाना हमारे लिए एक बड़ा नुकसान है। अगर वह आज होते, तो वे अपने काम से दुनिया पर राज करते।

**भास्कर**: कॉमेडी के अलावा, ऐसा कौन सा जॉनर है जहां आप अपनी एक्टिंग स्किल्स को और दिखाना चाहते हैं?
**अभिषेक**: मुझे स्त्री फिल्म में जना के किरदार से जो प्यार मिला है, उसके बाद किसी और फिल्म में डर लगता है कि कहीं मैं एक्सपोज न हो जाऊं। मुझे ह्यूमन ड्रामा और सोशल ड्रामा में खुद को एक्सप्लोर करना पसंद है। पाताललोक जैसी वेब सीरीज में मैंने एक रियल स्टोरी पर आधारित किरदार निभाया था।

**भास्कर**: क्या आपको एक्टिंग में कास्टिंग डायरेक्टर होने का लाभ मिला?
**अभिषेक**: हाँ, बिल्कुल। कास्टिंग डायरेक्टर होने के नाते मैं निर्देशक की जरूरतों को समझ पाया। मैंने ऑडिशन रूम में बहुत समय बिताया है और मुझे विभिन्न प्रकार के किरदारों को समझने का मौका मिला।

**भास्कर**: क्या आप मानते हैं कि हमारी ऑडियंस स्पाई और हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स के लिए तैयार है?
**अभिषेक**: मेरा मानना है कि यूनिवर्स बनाते समय हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। हमें फिल्म को भव्य बनाने के बजाय, कहानी को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

**भास्कर**: राजस्थानी भाषा के बारे में आपके क्या विचार हैं?
**अभिषेक**: मैंने वेदा फिल्म में राजस्थानी भाषा का इस्तेमाल किया है। राजस्थानी और हरियाणवी में समानता है, लेकिन बोलने का तरीका पूरी तरह अलग है।

**भास्कर**: राजस्थान में कौन सी खास बातें हैं जिन्हें अभी तक एक्सप्लोर नहीं किया गया?
**अभिषेक**: राजस्थान के किले, महल और संस्कृति में अभी भी कई कहानियाँ बाकी हैं जिन्हें सिनेमा में दिखाया जा सकता है।

**भास्कर**: साउथ की फिल्मों की बॉक्स ऑफिस में सफलता का कारण क्या है?
**अभिषेक**: साउथ इंडस्ट्री में तकनीकी प्रगति हुई है जो उनकी फिल्मों में साफ नजर आती है। उनकी सिनेमेटोग्राफी और वीएफएक्स अद्भुत हैं।

**भास्कर**: क्या ‘छावा’ जैसी फिल्मों की सफलता से राजस्थान के ऐतिहासिक किरदारों पर फिल्में बनेंगी?
**अभिषेक**: हाँ, मुझे उम्मीद है कि आने वाले सालों में राजस्थान के महान किरदारों पर ऐसी फिल्में बनेंगी।

**भास्कर**: क्या अब इंडस्ट्री में ओरिजिनल कहानियाँ नहीं लिखी जा रही हैं?
**अभिषेक**: फिल्म बनाने की प्रक्रिया खर्चीली होती है, इसलिए निर्माता पहले से हिट कहानियों पर भरोसा करते हैं। हमें यह समझना होगा कि भारत विविधताओं से भरा देश है और एक ही कहानी हर जगह नहीं चल सकती।

अभिषेक बनर्जी की इन बातों से साफ है कि वह सिनेमा के प्रति अपने समर्पण को लेकर कितने गंभीर हैं और वह किस तरह से इंडस्ट्री में बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb