फिल्म अभिनेता आमिर खान ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित कृपाशंकर पटेल को देखते ही उनके पैर छुए। हालांकि, पटेल ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन आमिर नहीं माने। फिर उन्होंने गले लगाकर कहा कि आपसे मिलकर मुझे ऊर्जा मिलती है। इसके बाद, पटेल ने आमिर को इंदौर लौटने के दौरान अर्जुन पुरस्कार से जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुनाया, जिसे सुनकर आमिर जोर-जोर से हंसने लगे।
कृपाशंकर पटेल मुंबई में आमिर खान के घर पहुंचे थे। इस अवसर पर आमिर ने रेलवे के सभी पहलवानों का स्वागत और सम्मान किया। यह मुलाकात करीब दो घंटे तक चली, जिसमें भारतीय कुश्ती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
कृपाशंकर पटेल ने एक किस्सा सुनाया, जिसमें उन्होंने बताया कि जब उन्हें 2000 में कुश्ती के लिए अर्जुन पुरस्कार मिला, तो वे दिल्ली से इंदौर लौट रहे थे। निजामुद्दीन एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में उनके सामने कुछ लोग पेपर पढ़ रहे थे, और उन्होंने जब उनके फोटो को देखा, तो कहा कि देखो, इंदौर के पहलवान को अर्जुन पुरस्कार मिला है, लेकिन वे उन्हें पहचान नहीं पाए।
कुछ समय बाद, उज्जैन के पास नागदा रेलवे स्टेशन आया, जहां उनके स्वागत के लिए 200 लोग ढोल और हार फूल लेकर मौजूद थे, और वे “कृपाशंकर पटेल जिंदाबाद” के नारे लगा रहे थे। यह सुनकर वह कोच के गेट पर आ गए, लेकिन वहां मौजूद लोग भी उन्हें पहचान नहीं पाए। अंत में, एक पहलवान ने उन्हें पहचाना और उन्हें कंधे पर उठा लिया, जिससे उनके साथ यात्रा कर रहे लोग भी चकित रह गए। यह सुनकर आमिर फिर से हंसने लगे।
इसके साथ ही, आमिर ने कृपाशंकर को कुश्ती में अपना गुरु मानते हुए बताया कि उन्होंने फिल्म “दंगल” के लिए उन्हें कुश्ती सिखाई थी। दंगल की शूटिंग के दौरान, आमिर नियमित रूप से कुश्ती का अभ्यास करते थे। उन्होंने अपने गुरु से कहा कि आपसे मिलकर मुझे हमेशा ऊर्जा महसूस होती है। इस दौरान, पटेल ने इंदौर के पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय से भी आमिर की मुलाकात कराई, जिसमें आमिर ने आकाश को अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों की प्रतियोगिता के लिए बधाई भी दी।
पटेल ने बताया कि आमिर से भारतीय रेलवे कुश्ती दल के लगभग 80 प्रमुख पहलवानों ने उनके घर पर मुलाकात की। इस मौके पर उन्हें फिल्म “दंगल” में बेहतरीन कुश्ती दृश्यों और सफलता के लिए सम्मानित किया गया। भारतीय रेलवे कुश्ती दल के प्रबंधक राकेश दुबे के नेतृत्व में द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त सुजीत मान, अर्जुन पुरस्कार विजेता शौकेंद्र तोमर, सुरेंद्र कादयान सहित अन्य कोच और पहलवानों ने उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।