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“अमेरिकी स्टॉक मार्केट में रिकॉर्ड गिरावट: निवेशकों को हुआ भारी नुकसान!”

मुख्य बिंदु: अमेरिकी शेयर बाजार में 5.28 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट आई व्यापारिक तनाव और AI-ड्रिवन … “अमेरिकी स्टॉक मार्केट में रिकॉर्ड गिरावट: निवेशकों को हुआ भारी नुकसान!”Read more

क्या अमेरिका में आर्थिक मंदी का खतरा? जानिए भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा!

मुख्य बिंदु:

  • अमेरिकी शेयर बाजार में 5.28 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट आई
  • व्यापारिक तनाव और AI-ड्रिवन ट्रेडिंग हैं इसके प्रमुख कारण
  • मंदी की आशंका अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों पर निर्भर करेगी

नई दिल्ली: अमेरिकी शेयर बाजार ने हाल ही में एक गंभीर गिरावट का सामना किया है, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। महज तीन हफ्तों में, बाजार से 5.28 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 5.28 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति समाप्त हो गई है। प्रमुख इंडेक्स जैसे S&P 500 में इस गिरावट ने वॉल स्ट्रीट पर चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। तुलना के लिए, भारत की कुल GDP 4 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ी अधिक है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि इस ऐतिहासिक गिरावट के पीछे तीन मुख्य कारण हैं: पहले, अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापारिक तनाव में वृद्धि, जिससे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दूसरे, अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत, जो निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं। तीसरे, टेक कंपनियों में AI-ड्रिवन ट्रेडिंग के चलते भारी बिकवाली, जिसने बाजार में गिरावट को और तेज कर दिया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट 19 फरवरी 2025 को शुरू हुई, जब S&P 500 इंडेक्स का बाजार मूल्य 52.06 ट्रिलियन डॉलर था। तीन हफ्तों के भीतर, 14 मार्च 2025 तक, यह मूल्य गिरकर 46.78 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया। यह निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि इसे हाल के वर्षों में सबसे तेज गिरावटों में से एक माना जा रहा है।

क्या मंदी का खतरा बढ़ रहा है?
बाजार में गिरावट के साथ-साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका भी बढ़ रही है। उपभोक्ता विश्वास सूचकांक लगातार गिर रहा है, जिससे खरीदारी में कमी आ सकती है। प्रमुख रिटेल कंपनियों जैसे Walmart ने आने वाले महीनों में कमजोर बिक्री की चेतावनी दी है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो आर्थिक मंदी का खतरा और बढ़ सकता है।

बाजार को स्थिर करने के उपाय:
विशेषज्ञों का मानना है कि फेडरल रिजर्व की अगली नीति बाजार की स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यदि गिरावट जारी रहती है, तो फेड ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जो बाजार में कुछ स्थिरता ला सकता है। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी सरकार पर भी दबाव बढ़ रहा है कि वह अपनी व्यापार नीतियों में सुधार करे और निवेशकों को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाए।

क्या यह मंदी की शुरुआत है?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह मंदी की शुरुआत है या सिर्फ एक बाजार सुधार। हालांकि, यदि कंपनियों के तिमाही परिणाम कमजोर आते हैं और उपभोक्ता खर्च में कमी आती है, तो स्थिति बिगड़ सकती है। विशेषज्ञ आने वाले हफ्तों को बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं, क्योंकि यही तय करेगा कि यह केवल एक अस्थायी गिरावट है या किसी बड़े आर्थिक संकट की शुरुआत।

भारत की आर्थिक स्थिति:
भारत में भी शेयर बाजार की स्थिति संतोषजनक नहीं है। एफआईआई द्वारा निवेश निकासी

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb

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