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“क्या आपकी 9 घंटे की नौकरी बन रही है बर्बादी? जानें कैसे ‘बर्न आउट’ ने 52% कर्मचारियों को प्रभावित किया!”

**अंतिम अपडेट: 16 मार्च, 2025, 13:54 IST** ![बर्बाद कर रही ये 9 घंटे की नौकरी! ‘बर्न … “क्या आपकी 9 घंटे की नौकरी बन रही है बर्बादी? जानें कैसे ‘बर्न आउट’ ने 52% कर्मचारियों को प्रभावित किया!”Read more

**अंतिम अपडेट: 16 मार्च, 2025, 13:54 IST**

![बर्बाद कर रही ये 9 घंटे की नौकरी! ‘बर्न आउट’ के मारे 52 फीसदी कर्मचारी](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/03/office-work-2025-03-3286ef6cd4a3a5d91bc5b3e0bf5fb047.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)

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### मुख्य बातें:
– **52% भारतीय कर्मचारी ‘बर्नआउट’ का सामना कर रहे हैं।**
– **काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन की कमी से तनाव बढ़ रहा है।**
– **सर्वेक्षण में 5 राज्यों के 1500 से अधिक कर्मचारी शामिल हुए।**

#### नई दिल्ली: बर्नआउट की बढ़ती समस्या

भारत में, लगभग 52% कार्यकर्ता काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन की कमी के कारण ‘बर्नआउट’ का अनुभव कर रहे हैं। यह चिंताजनक आंकड़ा एक हालिया अध्ययन से सामने आया है, जिसमें यह बताया गया है कि लंबे समय तक तनाव में रहने से कर्मचारी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकान का सामना कर रहे हैं। यह सर्वेक्षण न्यूयॉर्क स्थित बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट कंपनी वर्टेक्स ग्रुप द्वारा किया गया था, जिसमें महामारी के बाद के समय में कामकाजी हालात की समीक्षा की गई है।

#### काम के प्रति अपेक्षाएं

वर्टेक्स ग्रुप के अनुसार, इस सर्वेक्षण में कर्मचारियों की कार्यस्थल से जुड़ी अपेक्षाओं पर जोर दिया गया है। इसके तहत लचीले कामकाजी घंटों की मांग और व्यक्तिगत एवं पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच संतुलन की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

#### सर्वेक्षण का दायरा

इस सर्वेक्षण में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और आंध्र प्रदेश के 1,500 से अधिक कामकाजी व्यक्तियों से जानकारी जुटाई गई। वर्टेक्स ग्रुप के संस्थापक गगन अरोड़ा ने कहा, “काम और जीवन के बीच संतुलन बनाना आज की आवश्यकता है, खासकर आईटी क्षेत्र में। संगठनों को कर्मचारियों की अपेक्षाओं के अनुरूप ढलना चाहिए और सप्ताहांत पर उन पर काम का बोझ नहीं डालना चाहिए।”

#### काम का बढ़ता बोझ

सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि 23% से अधिक कर्मचारी निर्धारित कामकाजी घंटों से अधिक काम कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य न केवल कर्मचारियों के लिए, बल्कि संगठनों की वृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल ही में कई कारोबारी दिग्गजों और कर्मचारियों की असमय मृत्यु ने उच्च तनाव वाले व्यवसायों में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता को उजागर किया है।

एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि आठ से नौ घंटे की शिफ्ट में 20% से अधिक कर्मचारी केवल 2.5 से 3.5 घंटे ही उत्पादक होते हैं। यह दर्शाता है कि काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारी की उत्पादकता और रचनात्मकता में कमी आ सकती है।

अरोड़ा ने चेताया, “इस तकनीकी युग में, इंसान काम और जीवन के बीच संतुलन की कमी के कारण रोबोट में परिवर्तित होते जा रहे हैं। ऐसे में, कार्यालय से बाहर काम के घंटों में वृद्धि करने के बजाय, कौशल और उत्पादकता के विकास के लिए तकनीक का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है।”

**समाप्ति:** कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देने और कामकाजी संतुलन को बनाए रखने की दिशा में कदम उठाना अब समय की आवश्यकता है।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb