अमेरिकी प्रशासन चाहता है कि Google अपने Chrome ब्राउज़र को किसी अन्य कंपनी को बेच दे। यहाँ के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में याचिका दायर की है। विभाग ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह Google को अपने ब्राउज़र को बेचने का आदेश दे और साथ ही उन सभी गतिविधियों को रोकने का निर्देश दे, जिससे कंपनी की सर्च बाजार में एकाधिकार स्थिति बनी हुई है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले जो बाइडन के कार्यकाल में भी टेक कंपनियों को कड़ी नीतियों का पालन करना पड़ा था।
सरकार की यह मांग
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अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि Google बाजार में ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहा है कि चाहे जो हो, जीत हमेशा उसकी होनी चाहिए। इस कारण अमेरिकी नागरिकों को कंपनी की बेढंगी शर्तों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार का प्रस्ताव पिछले साल अगस्त में अदालत के एक आदेश के बाद आया था, जिसमें कहा गया था कि Google ने वेब ब्राउज़र्स और स्मार्टफोन कंपनियों को अपने सर्च इंजन का उपयोग करने के लिए पैसे देकर अपनी मोनोपॉली स्थापित की है। 2023 में चल रहे मुकदमे में यह बात उजागर हुई थी कि Google ने 2021 में इन समझौतों के लिए 26.3 बिलियन डॉलर खर्च किए थे।
गूगल फैसले के खिलाफ अपील करेगा
Google ने अदालत के इस निर्णय के खिलाफ अपील करने का निर्णय लिया है। अदालत में अपना जवाब देते हुए कंपनी ने कहा कि कुछ मामूली सुधार की आवश्यकता है। कंपनी ने यह सुझाव दिया है कि उसे प्रमुख स्थान के लिए समझौते करने की अनुमति दी जाए, लेकिन वह अपने मौजूदा समझौतों से दूसरे सर्च इंजन को शामिल न करने की शर्त को हटा लेगी। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार का प्रस्ताव अमेरिकी उपयोगकर्ताओं, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
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