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सजा सुनाए जाने के बाद तीनों को जेल भेज दिया गया। 26 सितंबर 2024 को गिरफ्तारी के बाद से ही तीनों आरोपी जेल में थे। जब उन्हें जेल भेजा गया, तो मां-बेटी के चेहरे पर डर और चिंता स्पष्ट दिखाई दे रही थी, जबकि मुख्य आरोपी अतुल निहाले के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। अतुल निहाले के खिलाफ खरगोन में पहले से छेड़खानी, चोरी समेत छह आपराधिक मामले दर्ज हैं।

HighLights
- भोपाल के शाहजहानाबाद में 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या की गई।
- बच्ची के शव को छिपाने में मदद करने वाली दरिंदे की मां और बहन को भी दो-दो साल की सजा दी गई।
- लैंगिक अपराधों से बच्चों को संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) के तहत उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। पांच महीने पहले भोपाल के शाहजहानाबाद क्षेत्र में एक मल्टी में पांच वर्ष की मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में न्याय प्राप्त हुआ। भोपाल की विशेष अदालत ने इस मामले में दुष्कर्मी और हत्यारे अतुल निहाले (25) को तीहरी फांसी की सजा सुनाई है। 100 पृष्ठों के अपने फैसले में विशेष न्यायाधीश कुमुदनी पटेल ने इसे दुर्लभतम मामला बताते हुए कहा कि अपराधी की वासना राक्षसों जैसी है।
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विशेष लोक अभियोजक दिव्या शुक्ला ने बताया कि विशेष न्यायालय ने पिछले सप्ताह आरोपितों को दोषी ठहराया था। मंगलवार को सजा सुनाई गई। अतुल को हत्या, दुष्कर्म के दौरान मौत और 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के गुप्तांगों को विकृत करने के लिए अलग-अलग मृत्युदंड की सजा दी गई है। वहीं, लैंगिक अपराधों से बच्चों को संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) के तहत उम्र कैद की सजा मिली है। हत्यारे की मां बसंती बाई और बहन चंचल भालसे को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा दी गई है।
पीड़ित परिवार का कहना – न्याय मिला
सजा की घोषणा के बाद मृतका के परिवार ने कहा कि इस दरिंदे को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए था। न्यायालय ने उनके साथ न्याय किया है। लेकिन इस अपराध में सहयोग देने वाली दोनों महिलाओं को भी कम से कम उम्र कैद की सजा मिलनी चाहिए थी।
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अपराधियों ने वारदात को ऐसे अंजाम दिया
अभियोजन के अनुसार, 24 सितंबर को दोपहर 12 बजे पांच वर्ष की बच्ची अपने स्वजन के घर से अपने फ्लैट पर पहुंची। उसी फ्लैट के सामने रहने वाले अतुल निहाले ने उसका मुंह दबाकर उसे भीतर खींच लिया। 35 मिनट के भीतर उसने दुष्कर्म कर बच्ची का गला दबाकर हत्या कर दी। उसके बाद शव को बिस्तर के नीचे छिपा दिया। जब काफी देर तक बच्ची का पता नहीं चला, तो मल्टी के निवासी उसे तलाशने लगे और पुलिस को सूचना दी। पांच थानों के 100 से अधिक पुलिसकर्मी उसे खोजने लगे। इस दौरान अपराधी को शव ठिकाने लगाने का अवसर नहीं मिला। इसी बीच उसकी मां और बहन को अपराध का पता चल गया था। उन्होंने बच्ची का शव बिस्तर से निकालकर पानी की टंकी में छिपा दिया। बदबू रोकने के लिए बार-बार फिनायल से पोछा लगाया गया। 26 सितंबर को फ्लैट से बदबू उठने लगी, तो पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। तलाशी में बच्ची का शव मिल गया और इसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
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महिलाओं ने वारदात में भूमिका निभाई
पिछले साल यह घटना भोपाल में हड़कंप मचा देने वाली साबित हुई थी। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने एसआइटी गठन की घोषणा की और फास्ट-ट्रैक न्यायालय में सुनवाई का आश्वासन दिया था। इसकी जांच से लेकर सजा सुनाए जाने तक महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। एसीपी अंकिता खातरकर, एडीसीपी शालिनी दीक्षित और एसआइ योगिता जैन ने मामले की जांच की, साक्ष्य जुटाए और चालान पेश किया। विशेष लोक अभियोजक दिव्या शुक्ला ने न्यायालय में पैरवी की और विशेष न्यायाधीश कुमुदनी पटेल ने फैसला सुनाया।
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फैसले में जज की टिप्पणी
अभियुक्तों का कार्य असामान्य और वीभत्स है। आरोपित अतुल निहाले की मनोवृत्ति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी वासना इतनी राक्षसी थी कि उसने पांच साल की मासूम बच्ची के साथ क्रूरता से दुष्कर्म किया और उसके प्राइवेट पार्ट पर चाकू से बार-बार ज़्यादती की। इसके बाद उसने बच्ची की बर्बरता से हत्या कर दी और शव को पोटली में बांधकर फ्लैट में ही पानी की टंकी में रख दिया। घटना स्थल पर फैले खून को साफ किया। हत्यारे अतुल के अपराध की जानकारी होने के बाद भी उसकी मां बसंती बाई और बहन चंचल भालसे ने शव की बदबू को फ्लैट से बाहर फैलने से रोकने के लिए टंकी के मुंह को चादर से ढक दिया और सभी पुलिस वालों के साथ बच्ची को खोजने का नाटक करने लगे। जब फ्लैट से शव की बदबू बाहर आने लगी, तब बसंती बाई और चंचल भालसे ने पुलिस को गुमराह कर फ्लैट की तलाशी लेने का विरोध करते हुए पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की। – (न्यायाधीश कुमुदनी पटेल ने फैसले में लिखा)
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27 वर्ष में फांसी की 52 सजाएं, किसी को लटका नहीं सके
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 1998 से अब तक मध्य प्रदेश में 52 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इनमें से अभी तक किसी को भी सजा के तौर पर फांसी पर लटकाया नहीं गया है। कई मामलों में फांसी की सजा को अपीलीय न्यायालयों ने उम्र कैद में बदल दिया है। कई मामले अभी भी न्यायालयों में लंबित हैं।
फैक्ट फाइल
24 सितम्बर 2024 की घटना
11 दिसंबर 2024 को न्यायालय में मामला प्रस्तुत किया गया था
18 मार्च 2025 को फैसला आया
– 100 पृष्ठों का फैसला