इंदौर में रंगपंचमी के अवसर पर राजवाड़ा और उसके आसपास गेर का आयोजन किया जाएगा। इसकी परंपरा 76 वर्ष पहले शुरू हुई थी। एक समय ऐसा भी आया था जब आयोजकों ने इसे रोकने का निर्णय लिया था। टोरी कार्नर पर सबसे पहले रंगों के कढ़ाव का इस्तेमाल किया गया था।

HighLights
- रंगपंचमी के दौरान पारिवारिक संदर्भ में फाग यात्रा का आयोजन।
- बैलगाड़ी पर बैठने के विवाद से रसिया कार्नर की गेर की शुरुआत हुई।
- गेर ने समय के साथ आधुनिक रूप धारण किया है, जो नवाचारों से प्रभावित है।
रामकृष्ण मुले, Newsstate24, इंदौर। इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा पर 19 मार्च को रंगपंचमी का पर्व एक बार फिर रंगों के उल्लास से भरा जाएगा। रंगों का यह उत्सव होलकरों के शासनकाल से चला आ रहा है, लेकिन मतवालों की टोली को एक संगठन के तहत निकालने की परंपरा 76 वर्ष पहले शुरू हुई थी।
वर्तमान में, यहां चार गेर और एक फाग यात्रा का आयोजन होता है, जबकि कुछ आयोजकों ने इसे रोकने का निर्णय भी लिया है। आपसी मनमुटाव के चलते रंगपंचमी की गेर में नए रंग जुड़ते गए हैं। सबसे पहले टोरी कार्नर की गेर में रंगों के कढ़ाव का इस्तेमाल किया गया, जबकि बैलगाड़ी पर बैठने के विवाद के बाद रसिया कार्नर की गेर की शुरुआत हुई। राधाकृष्ण फाग यात्रा ने गेर को पारिवारिक रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शहर के प्रमुख स्थल टोरी कार्नर की गेर
एक समय टोरी कार्नर शहर का सबसे जागरूक स्थान माना जाता था। यहां देश के बड़े राजनीतिक मुद्दों और शहर की विभिन्न जानकारी सबसे पहले पहुंचती थी। टोरी कार्नर गेर के संयोजक शेखर गिरि ने बताया कि बाबूलाल गिरि, छोटेलाल गिरि और रामचंद्र पहलवान ने रंगों के कढ़ाव का उपयोग शुरू किया, जिसमें लोगों को रंगों में डुबोया जाने लगा।
इसके बाद लोग बाल्टियों में रंग भरकर राजवाड़ा पर इकट्ठा होने लगे और गेर की योजना बनाई गई। इस बार गेर की थीम ‘प्यार किया तो डरना क्या’ होगी।
गेर में हाथी-घोड़ों का प्रदर्शन
71 वर्ष पहले संगम कार्नर की गेर में हाथी-घोड़े देखकर लोग दंग रह गए थे। यह गेर नाथूलाल खंडेलवाल और उनके साथियों द्वारा निकाली गई थी। इसके बाद इसमें मिसाइलों से रंग उड़ाने का प्रयोग भी किया गया, जो लोगों को बहुत पसंद आया।
आयोजकों ने गेर में बदलाव को लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप भी लगाए हैं। संयोजक कमलेश खंडेलवाल ने बताया कि गेर का आयोजन बिना किसी बाहरी सहयोग के किया जाता है। इस वर्ष गेर में मिसाइलों से रंग उड़ाकर तिरंगा बनाया जाएगा।
गेर में 500 युवा हेलमेट पहनकर शामिल होते हैं
हालांकि रसिया कार्नर नवयुवक मित्र मंडल की गेर इस बार नहीं निकाली जा रही है, लेकिन यह रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। गेर में रमेश जोशी और प्रेम शर्मा के बीच बैलगाड़ी पर बैठने को लेकर कहासुनी हुई थी, जिसके बाद रसिया कार्नर का जन्म हुआ।
गेर ओल्ड राजमोहल्ला से शुरू हुई। सात साल पहले गेर के दौरान एक दुर्घटना में संयोजक पं. राजपाल जोशी के मित्र की बाइक से गिरने से मौत हो गई, तब से गेर में 500 युवा हेलमेट पहनकर भाग लेते हैं ताकि लोगों को हेलमेट पहनने के प्रति जागरूक किया जा सके।
51 वर्षों से रंग में रंगती मारल क्लब की गेर
मारल क्लब की गेर पिछले 51 वर्षों से लोगों को रंगों में रंगती आ रही है। यह गेर मल्हार पल्टन से निकाली जाती है। संयोजक अभिमन्यु मिश्रा ने बताया कि इस गेर ने आपसी एकता को बढ़ावा दिया है। इस बार गेर में डीजे, भजन मंडली, रंग-बिरंगी गुलाल उड़ाने वाली आधुनिक मशीनें और पानी के टैंकर की विशेष व्यवस्था की गई है। सांप्रदायिक सौहार्द और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 100 से अधिक सुरक्षाकर्मियों और वालंटियर्स की तैनाती की जाएगी।
फाग यात्रा ने दिया शालीन स्वरूप
एक समय ऐसा भी आया जब हुड़दंग के आरोपों के कारण लोग गेर में शामिल होने से बचने लगे थे। ऐसे में 27 वर्ष पहले नृसिंह बाजार से राधाकृष्ण फाग यात्रा की शुरुआत स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ ने की। इस यात्रा ने धार्मिक और शालीन स्वरूप दिया और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास किया।
संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ ने बताया कि एक बार फिर रंगपंचमी पर यात्रा अपने स्वरूप में निकलेगी। इस बार परिवार के साथ शामिल महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा घेरा होगा। नाथद्वारा का श्रीनाथ मंदिर इस बार आकर्षण का केंद्र होगा।