राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि हमें अपने देश को “इंडिया” के बजाय “भारत” कहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इसे सही करना जरूरी है। यह अजीब है कि देश को दो नामों से जाना जा रहा है। जब भारत है, तो हमें इसे भारत ही कहना चाहिए।
दत्तात्रेय होसबाले नोएडा में ‘विमर्श भारत का’ पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या भारत केवल एक भूखंड है या इसे संविधान द्वारा चलाया जाने वाला एक राष्ट्र माना जाए? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जो विश्व को एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।
उनके बयान की 5 प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:
1. **भारत है, तो भारत ही कहो**
दत्तात्रेय होसबाले ने सरकार द्वारा हाल में जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति आवास पर भेजे गए भोज निमंत्रण में “रिपब्लिक ऑफ इंडिया” शब्दों का इस्तेमाल करने पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि “कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया” और “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया” जैसे शब्दों का प्रयोग भी इस विषय में विचार करने योग्य है।
2. **भारत के इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया**
उन्होंने कहा कि आज भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है और उसका मस्तिष्क भी स्वतंत्र है। पहले के दशकों में यह सिखाया गया कि भारत का गणित और विज्ञान में कोई योगदान नहीं रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के समृद्ध इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है।
3. **भारत बारे में भ्रामक बातें फैलाई गईं**
होसबाले ने बताया कि भारत के बारे में कई भ्रामक धारणाएं फैल गई हैं, जैसे कि यह केवल एक कृषि प्रधान देश है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह गलत है, भारत किसी भी क्षेत्र में कमतर नहीं था।
4. **महाकुंभ विमर्श ने एक महासमर खोला**
उन्होंने कहा कि महाकुंभ विमर्श ने एक नए महासमर को जन्म दिया है। इससे निकलने वाले विमर्श विभिन्न दिशाओं में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में हजारों पंथ हैं, और हमारे पूर्वजों ने हमेशा अपनी संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया था।
5. **हमें सत्य लिखना और बोलना है**
दत्तात्रेय ने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि हम पूरे भारत में शांति स्थापित करें। विभिन्न विमर्शों के माध्यम से हमें सत्य की स्थापना करनी चाहिए। यह एक बौद्धिक संघर्ष है, जिसमें हमारा ध्येय सत्य की खोज और उसे जीना होना चाहिए।
**जानिए कौन हैं दत्तात्रेय होसबाले?**
दत्तात्रेय होसबाले का जन्म 1 दिसंबर, 1954 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले गांव में हुआ। उनका परिवार पहले से ही संघ से जुड़ा हुआ था, और इसी कारण वह 1968 में संघ में शामिल हो गए। उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और 1978 में संघ के प्रचारक बने।
1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल होने के बाद, वे 14 महीने से अधिक समय तक जेल में रहे। उन्होंने 1992 से 2003 तक ABVP के संगठन मंत्री के रूप में कार्य किया और 2003 में आरएसएस के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बने। वर्तमान में, वह आरएसएस के सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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मंत्री रघुराज सिंह ने कहा कि अगर सफेद टोपी वाले को रंग से डर लगता है तो होली के दिन घर में ही नमाज पढ़ें। उन्होंने यह बात अलीगढ़ में मीडिया से बातचीत के दौरान कही। उनका सुझाव था कि जैसे होली पर मस्जिद को तिरपाल से ढका जाता है, वैसे ही सफेद टोपी वाले तिरपाल का हिजाब पहनकर घर से निकलें ताकि उनकी टोपी और कपड़े रंगों से बचे रहें।