chaitra Maas 2025: होलिका दहन के बाद, चैत्र मास का शुभारंभ
धुलेंडी के साथ ही चैत्र मास की शुरुआत हो जाती है, जो सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। पंचांग के अनुसार, 15 मार्च से आरंभ होकर 12 अप्रैल तक चलने वाले इस महीने में कई महत्वपूर्ण तीज और त्योहार मनाए जाएंगे। इस दौरान धर्म, संस्कृति, परंपराओं और आस्थाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
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चैत्र माह: धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से हिंदू पंचांग का नववर्ष आरंभ होता है। इसे सृष्टि की उत्पत्ति का समय भी माना जाता है। इसी कारण गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व होता है। इस मास में भगवान गणपति की आराधना को भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
होलिका दहन के अगले दिन धुलेंडी के साथ रंगों की मस्ती का जो दौर शुरू होता है, वह पूरे महीने चलता रहता है। इस दौरान रंगपंचमी, शीतला सप्तमी, दशा माता, गणगौर और रामनवमी जैसे पर्व उल्लासपूर्वक मनाए जाते हैं।
महत्वपूर्ण तिथियां और प्रमुख त्योहार
- 16 मार्च: चैत्र कृष्ण द्वितीया (भाई दूज)
- 19 मार्च: रंगपंचमी, चिंतामन गणेश जत्रा
- 21 मार्च: शीतला सप्तमी
- 22 मार्च: शीतला अष्टमी
- 24 मार्च: दशा माता
- 25 मार्च: पापमोचनी एकादशी
- 29 मार्च: शनिश्चरी अमावस्या
- 30 मार्च: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा)
- 1 अप्रैल: गणगौर तीज
- 6 अप्रैल: रामनवमी
- 12 अप्रैल: चैत्र पूर्णिमा (हनुमान जयंती)
चिंतामन गणेश मंदिर में विशेष आयोजन
उज्जैन में स्थित षडविनायक मंदिरों में से एक, चिंतामन गणेश मंदिर, चैत्र मास में भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां चैत्र माह के दौरान चार विशेष जत्राएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें भगवान गणेश के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा।
चिंतामन गणेश जत्रा के आयोजन की तिथियां
- 19 मार्च: रंगपंचमी, पहली जत्रा
- 26 मार्च: दूसरी जत्रा
- 2 अप्रैल: तीसरी जत्रा
- 9 अप्रैल: शाही जत्रा
चैत्र महोत्सव: हर बुधवार विशेष आयोजन
चैत्र माह में चिंतामन गणेश मंदिर में हर बुधवार को भव्य आयोजन किया जाता है। इस दौरान गीत, संगीत और नृत्य की त्रिवेणी से सजी सांस्कृतिक संध्याएं आयोजित की जाएंगी।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि भक्तों को भीषण गर्मी से राहत मिले और वे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव का आनंद ले सकें।
चैत्र माह का आध्यात्मिक संदेश
चैत्र मास केवल त्योहारों का महीना नहीं, बल्कि नव ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर समय भी है। इस दौरान नववर्ष, वासंती नवरात्र और रामनवमी जैसे पर्व हमें नए संकल्प, भक्ति और अध्यात्म की ओर प्रेरित करते हैं।
इस पवित्र माह में संस्कार, संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात करते हुए, जीवन में नई उमंग और उल्लास लाने का संकल्प लेना ही सच्ची श्रद्धा होगी।