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6 राज्यों में 8 बोर्ड के परीक्षा पत्र लीक: 85 लाख छात्रों पर पड़ा असर; NEET परीक्षा के लीक से नहीं मिला सबक

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6 राज्यों में 8 बोर्ड के पेपर लीक:85 लाख स्टूडेंट्स प्रभावित; NEET पेपर लीक से नहीं लिया सबक

फरवरी के महीने से देश के विभिन्न क्षेत्रों में बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। इस दौरान महज 28 दिनों के भीतर 6 राज्यों में 8 बोर्ड परीक्षा पत्र लीक हो चुके हैं। इसका प्रभाव यूपी बोर्ड के 54 लाख, हरियाणा बोर्ड के 5.16 लाख, हिमाचल प्रदेश बोर्ड के 1.95 लाख, महाराष्ट्र बोर्ड के 15 लाख, झारखंड बोर्ड के 7.83 लाख और मणिपुर बोर्ड के 37 हजार छात्रों पर पड़ा है।

**1. यूपी बोर्ड**
यूपी बोर्ड का गणित का पेपर 1 मार्च को था। इसी दिन एटा के चौधरी BL इंटर कॉलेज की सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर अंजु यादव ने सुबह-सुबह प्रश्न पत्र को आधिकारिक परीक्षा व्हाट्सऐप ग्रुप में डाल दिया। यह घटना परीक्षा शुरू होने के एक घंटे के भीतर हुई। इसके तुरंत बाद पेपर को व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया गया और अंजु यादव के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। यूपी बोर्ड की परीक्षा में 7 फर्जी परीक्षार्थियों को भी गिरफ्तार किया गया। इनमें से तीन एटा, दो मुरादाबाद और एक-एक आजमगढ़ और कानपुर से पकड़े गए। नकल कराने के आरोप में एक कक्ष निरीक्षक, तीन केंद्र व्यवस्थापक और 14 अन्य के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है। इस संदर्भ में विभिन्न जिलों में कुल 25 लोगों पर FIR की जा चुकी है।

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**2. हरियाणा बोर्ड**
हरियाणा बोर्ड का 10वीं का गणित का पेपर 28 फरवरी को लीक हुआ और यह सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। इससे पहले, 27 फरवरी को हरियाणा बोर्ड का 12वीं का अंग्रेजी पेपर भी लीक हो गया था। नूंह में पेपर लीक की साजिश रचने के आरोप में दो सुपरवाइजर समेत पांच लोगों पर मामला दर्ज किया गया, जिनमें से तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पलवल में नकल कराने के आरोप में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

**3. हिमाचल प्रदेश बोर्ड**
हिमाचल प्रदेश बोर्ड का 12वीं का अंग्रेजी पेपर पेपर लीक के कारण पूरी राज्य में रद्द करना पड़ा। दरअसल, 7 मार्च को 10वीं का अंग्रेजी पेपर और 8 मार्च को 12वीं का अंग्रेजी पेपर होना था। 7 मार्च को बोर्ड को एक गुप्त शिकायत मिली, जिसमें कहा गया कि अगले दिन होने वाले 12वीं के पेपर को पहले ही लीक कर दिया गया है। बोर्ड की जांच में यह सत्य पाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 12वीं का अंग्रेजी पेपर रद्द कर दिया गया। इस मामले में जांच अभी जारी है।

**4. महाराष्ट्र बोर्ड**
21 फरवरी को महाराष्ट्र के जालना जिले में 10वीं बोर्ड का मराठी पेपर लीक हो गया। यहां प्रश्न पत्र लीक होने के बाद उत्तर पत्रों की फोटोकॉपी कर छात्रों तक पहुंचाने का काम भी किया गया।

**5. झारखंड बोर्ड**
11 फरवरी से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हुई थीं। 18 फरवरी को 10वीं का हिंदी पेपर और 20 फरवरी को विज्ञान का पेपर हुआ। ये दोनों ही पेपर लीक होकर सोशल मीडिया पर फैल गए, जिसके बाद झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने दोनों पेपर रद्द कर दिए। इसके बाद 7 और 8 मार्च को ये परीक्षाएं फिर से आयोजित की गईं।

**6. मणिपुर में पेपर लीक**
मणिपुर बोर्ड की 10वीं परीक्षाओं के दौरान सामाजिक विज्ञान का पेपर लीक हो गया। इस मामले में BOSEM (बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन मणिपुर) ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है और इस मामले की जांच की जा रही है।

पिछले साल NEET UG पेपर के लीक मामले ने भी काफी विवाद खड़ा किया था। 2024 में 4 जून को NTA ने NEET UG का परिणाम घोषित किया था, जिसमें 67 उम्मीदवारों को AIR 1 प्राप्त हुआ। इस परीक्षा से पहले ही पेपर लीक होने के आरोप लगाए गए थे। 8 जून को NTA ने पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। इसके अलावा, कई FIR भी दर्ज हुईं और 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके परिणामस्वरूप, NTA में बदलाव के लिए एक समिति बनाई गई, जिसने सुधार के लिए सुझाव दिए। इस समिति का नेतृत्व ISRO के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन कर रहे थे। इसके बाद NTA से 9 प्रमुख भर्ती परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी छीन ली गई और अब NTA केवल प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले साल NEET पेपर लीक मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जिससे यह मुद्दा जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया था। हालांकि, शिक्षा विभाग पेपर लीक को गंभीरता से लेते हुए नहीं दिखाई दे रहा है। 10वीं-12वीं के बोर्ड परीक्षाओं में नकल माफिया सक्रिय हैं और लगातार पेपर लीक हो रहे हैं। ऐसे में छात्रों में असमंजस की स्थिति है और वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या उन्हें परीक्षाओं को गंभीरता से लेना चाहिए या नहीं? साथ ही, सरकारें पेपर लीक रोकने में क्यों असफल हो रही हैं?

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1. मातृभाषा में पढ़ाने से बच्चे बेहतर सीखते हैं: दुनिया में 40% बच्चों को बोलने-समझने वाली भाषा में शिक्षा नहीं मिलती; UNESCO की रिपोर्ट बताती है कि जिस भाषा में बच्चे घर पर बोलते हैं, उसी भाषा में पढ़ाई करने पर वे बेहतर सीखते हैं। यदि बच्चों को किसी अन्य भाषा में पढ़ाना शुरू किया जाए, तो इससे उनमें हीन-भावना उत्पन्न हो सकती है।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb