मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणाम पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पीएससी को यह निर्देश दिया है कि वह हाई कोर्ट की अनुमति के बिना परिणामों की घोषणा न करे। इस मामले की अगली सुनवाई सात मई को निर्धारित की गई []
Published: Wednesday, 26 March 2025 at 09:29 pm | Modified: Wednesday, 26 March 2025 at 09:29 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणाम पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पीएससी को यह निर्देश दिया है कि वह हाई कोर्ट की अनुमति के बिना परिणामों की घोषणा न करे। इस मामले की अगली सुनवाई सात मई को निर्धारित की गई है।
कोर्ट की एक बेंच जिसमें मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन शामिल हैं, ने यह आदेश जारी किया है। पीएससी को यह भी बताया गया है कि कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम न घोषित किए जाएं। इसके अलावा, पीएससी के सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
इस मामले में याचिका दायर करने वाली भोपाल की निवासी ममता डेहरिया की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि याचिका के माध्यम से राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा नियम-2015 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। इसके साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी परिपत्र और पीएससी द्वारा 31 दिसंबर 2024 को प्रकाशित विज्ञापन को भी चुनौती दी गई है।
बहस के दौरान यह दलील दी गई कि जिन नियमों को चुनौती दी गई है, वे संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 335 के खिलाफ हैं। ये प्रावधान आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को छूट मिलने के नाम पर अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते हैं।
राज्य सरकार एक तरफ आरक्षित वर्ग को विभिन्न प्रकार की छूट जैसे आयु सीमा, शैक्षणिक योग्यता और परीक्षा शुल्क में छूट दे रही है, जबकि दूसरी तरफ छूट प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करने पर भी अनारक्षित वर्ग में चयन नहीं करने दिया जा रहा है।
ऐसा करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जा रहा है। पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 16 फरवरी को आयोजित की गई थी। इसमें 1.18 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे और लगभग 93 हजार उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि कोर्ट संपूर्ण विज्ञापन पर रोक लगाने का विचार कर रहा था, लेकिन पीएससी और सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि परीक्षा हो चुकी है और फिलहाल परिणाम जारी नहीं हुआ है। इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने बिना अनुमति के परिणामों की घोषणा न करने का अंतरिम आदेश जारी कर दिया।