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बाजार में उतार-चढ़ाव के मुख्य कारणों के बारे में यहाँ विस्तार से जानें

भारतीय शेयर बाजारों में हाल के दिनों में काफी हलचल देखी जा रही है। सेंसेक्स और निफ्टी की पिछले हफ्ते की गतिविधियों ने कई बाजार विशेषज्ञों को भ्रमित कर दिया है। छोटे और मझोले शेयरों में भी छह दिन बाद significativa गिरावट देखने को मिली है। बाजार के जानकारों के अनुसार, इस उतार-चढ़ाव के पीछे []

Published: Wednesday, 26 March 2025 at 05:37 pm | Modified: Wednesday, 26 March 2025 at 05:37 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार

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बाजार में उतार-चढ़ाव के मुख्य कारणों के बारे में यहाँ विस्तार से जानें

भारतीय शेयर बाजारों में हाल के दिनों में काफी हलचल देखी जा रही है। सेंसेक्स और निफ्टी की पिछले हफ्ते की गतिविधियों ने कई बाजार विशेषज्ञों को भ्रमित कर दिया है। छोटे और मझोले शेयरों में भी छह दिन बाद significativa गिरावट देखने को मिली है। बाजार के जानकारों के अनुसार, इस उतार-चढ़ाव के पीछे तीन मुख्य कारण मौजूद हैं। आइए जानते हैं कि ये कारक कौन से हैं, जो इस स्थिति को जन्म दे रहे हैं।

पहला कारण है ग्लोबल टैरिफ को लेकर बढ़ती चिंता। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नए टैरिफ लगाने की बात कही है, जिससे निवेशकों के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ा है। पहले उन्होंने कहा था कि सभी नए टैरिफ 2 अप्रैल से लागू नहीं होंगे। इससे बाजार को थोड़ी राहत मिली थी।

हालांकि, अब बाजार को यह उम्मीद थी कि 2 अप्रैल से भारत पर रेसिप्रोकल टैक्स नहीं लगाया जाएगा, लेकिन इस पर स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप अपनी नीति पर कायम हैं। इससे निवेशकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है और वे नई ट्रेड पॉलिसी में स्पष्टता आने तक नए निवेश से बच रहे हैं।

दूसरा कारण है तेजी के बाद मुनाफावसूली। पिछले चार वर्षों में शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी देखी गई थी, विशेषकर सोमवार को। उसके बाद निवेशकों ने मुनाफा निकालना शुरू कर दिया। बिकवाली के दबाव के चलते एनएसई के 13 में से 11 सेक्टोरियल इंडेक्स लाल निशान में चले गए।

केवल निफ्टी, प्राइवेट बैंक और आईटी सेक्टर ने अपने आपको हरे निशान में बनाए रखा। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी हेड श्रीकांत चौहान का कहना है कि शॉर्ट टर्म में बाजार का ढांचा सकारात्मक है, लेकिन अधिक खरीदी के कारण ऊंचे स्तरों पर बिकवाली हो रही है।

तीसरा और अंतिम कारण कमजोर ग्लोबल संकेत हैं। वैश्विक बाजार, विशेषकर एशियाई बाजारों में कमजोरी का प्रभाव भी भारतीय शेयर बाजारों पर पड़ा है। बाजार के जानकारों का मानना है कि वर्तमान में बाजार ग्लोबल संकेतों की ओर देख रहा है, लेकिन बाजार की तेजी कितनी स्थायी होगी यह शॉर्ट टर्म में इस पर निर्भर करेगा कि कौन सी कंपनियों के कॉर्पोरेट तिमाही नतीजे कैसे आते हैं और घरेलू बाजार में उपभोग की स्थिति कैसी है।

यह ध्यान देने योग्य है कि कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के कारण हाल ही में शेयर बाजार में कई महीनों तक गिरावट देखी गई थी। इससे बाजार विशेषज्ञों को कंपनियों का मूल्यांकन ऊँचा लगने लगा। जब तक कॉर्पोरेट आय में सुधार नहीं होता, तब तक बाजार में आने वाली किसी भी तेजी की स्थिरता पर संदेह बना रहेगा। एक कहावत के अनुसार, शेयर की कीमतें लंबे समय में उसकी कमाई की गुलाम होती हैं।

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