ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं लागू की जा रही हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है कौशल विकास कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य स्व सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। राष्ट्रीय अजीविका मिशन के अंतर्गत, बिहान और ग्रामीण []
Published: Wednesday, 26 March 2025 at 09:18 pm | Modified: Wednesday, 26 March 2025 at 09:18 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं लागू की जा रही हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है कौशल विकास कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य स्व सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
राष्ट्रीय अजीविका मिशन के अंतर्गत, बिहान और ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान में कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे सिलाई-कढ़ाई, ज्वेलरी निर्माण, पारंपरिक और चाइनीज व्यंजन बनाने के साथ-साथ मुर्गी और पशुपालन का प्रशिक्षण भी ले रही हैं।
महिलाओं को स्व सहायता समूह से जोड़कर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके बाद, उन्हें ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से विभिन्न कोर्सेस में प्रशिक्षण दिया जाता है।
जब महिलाएं प्रशिक्षण पूरा कर लेती हैं, तो भारतीय स्टेट बैंक से उन्हें दो लाख तक का लोन दिलाया जाता है। इस लोन की मदद से वे अपने स्वयं के व्यवसाय की शुरुआत कर सकती हैं। पिछले तीन वर्षों में, लगभग दो हजार महिलाओं ने स्व सहायता समूह से जुड़े प्रशिक्षण के बाद अपने छोटे-छोटे व्यापार शुरू कर लिए हैं।
कई महिलाएं अपने बुटीक चला रही हैं, तो कुछ ने जनरल स्टोर, ज्वेलरी सेंटर और फूड स्टॉल शुरू कर लिया है। कुछ महिलाएं डेयरी और मुर्गीपालन से भी अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
सिंघरी की निवासी सुलोचना खांडे ने बताया कि उनके पति किसान हैं और परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल था। स्व सहायता समूह के माध्यम से उन्होंने ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान में टेलरिंग का प्रशिक्षण लिया और अब अपनी दुकान चला रही हैं। वे महीने में 25 से 30 हजार रुपए कमाकर लखपति दीदी बन चुकी हैं।
मुढीपार की अंजली बंजारे ने साझा किया कि वह एक गरीब किसान परिवार से हैं। उनके परिवार का मुख्य आय का स्रोत खेती और मजदूरी थी। आर्थिक समस्याओं का सामना करते हुए, उन्होंने स्व सहायता समूह की दीदियों से संपर्क किया और ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण लिया। अब वे घर बैठे 25 से 30 हजार रुपए कमा रही हैं।
महिला स्व सहायता समूह की सदस्याएं यह मानती हैं कि बिहान ने केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्हें लखपति दीदी का नया नाम भी दिया है। अब महिलाएं छोटी-छोटी जरूरतों के लिए अपने परिवार पर निर्भर नहीं हैं और खुद कमाकर आर्थिक सहयोग दे रही हैं।
महिलाओं का कहना है कि पहले वे घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, लेकिन समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने शासन की योजनाओं का लाभ उठाया। प्रशिक्षण लेकर लोन प्राप्त कर उन्होंने अपने कारोबार की शुरुआत की और अपनी जिंदगी में बदलाव लाने में सफल रहीं।