एमपी हाई कोर्ट की रोक पर पीएससी की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2025 के परिणाम
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणाम पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पीएससी को निर्देश दिया है कि परिणाम बिना हाई कोर्ट की अनुमति के जारी नहीं किए जाएं। यह निर्णय ममता डेहरिया की याचिका के आधार पर आया है, []
Published: Wednesday, 26 March 2025 at 02:51 am | Modified: Wednesday, 26 March 2025 at 02:51 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणाम पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पीएससी को निर्देश दिया है कि परिणाम बिना हाई कोर्ट की अनुमति के जारी नहीं किए जाएं। यह निर्णय ममता डेहरिया की याचिका के आधार पर आया है, जिसमें परीक्षा नियमों को संवैधानिक चुनौती दी गई है।
एमपी हाई कोर्ट का पीएससी की परीक्षा पर महत्वपूर्ण निर्णय। (फाइल फोटो)
HighLights
- हाई कोर्ट ने एमपी पीएससी परीक्षा परिणाम पर रोक लगाई।
- याचिका में परीक्षा नियमों के संवैधानिक उल्लंघन का आरोप।
- आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के अधिकारों को लेकर सवाल उठाए गए।
Newsstate24 प्रतिनिधि, भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की युगलपीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन शामिल हैं, ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणाम पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने पीएससी को यह निर्देश दिया है कि बिना हाई कोर्ट की अनुमति के परिणामों की घोषणा न की जाए। इस मामले में पीएससी सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा गया है। अगली सुनवाई सात मई को होगी। यह निर्णय भोपाल की ममता डेहरिया की याचिका पर लिया गया है, जिसमें परीक्षा नियमों की संवैधानिकता पर सवाल उठाया गया है।
याचिका में संवैधानिक उल्लंघन का आरोप
- याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने तर्क दिया कि राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा नियम 2015 के कुछ प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 335 के साथ-साथ लोक सेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4-ए के खिलाफ हैं।
- उन्होंने यह भी कहा कि 31 दिसंबर 2024 को जारी पीएससी विज्ञापन और सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। कोर्ट को जानकारी दी गई कि यह परीक्षा 16 फरवरी को आयोजित की गई थी, जिसमें 1.18 लाख फॉर्म भरे गए और लगभग 93 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया।
आरक्षित वर्ग के अधिकारों पर सवाल
चर्चा में कहा गया कि राज्य सरकार आरक्षित वर्ग को आयु सीमा, शैक्षणिक योग्यता और परीक्षा शुल्क में छूट प्रदान करती है, लेकिन मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयन से वंचित रखती है। यह संवैधानिक समानता और आरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अधिवक्ताओं ने इसे आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के अधिकारों पर हमला माना।
विज्ञापन पर रोक से बचा पीएससी
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि कोर्ट पहले संपूर्ण विज्ञापन पर रोक लगाने का विचार कर रहा था, लेकिन पीएससी और सरकारी अधिवक्ता ने जानकारी दी कि परीक्षा हो चुकी है और परिणाम अभी जारी नहीं हुए हैं। इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर परिणाम पर रोक लगाने का निर्णय लिया। इस फैसले ने अभ्यर्थियों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है।
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कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb