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आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नवजात के लिए 28 हजार रुपए का इंजेक्शन बाहर से मंगवाया गया दूसरे अस्पताल ने कहा इसकी जरूरत नहीं थी

सुल्तानिया अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बच्चे की नसों के उपचार के लिए विशेष इंजेक्शन लगाने की सलाह दी, जिसकी प्रति इंजेक्शन कीमत साढ़े छह हजार रुपये थी। कुल मिलाकर सात इंजेक्शन लगाए गए। भोपाल में नवजात के इलाज के नाम पर मरीज से पैसे लूटने का मामला सामने आया। HighLights नवजात शिशु के उपचार []

Published: Wednesday, 26 March 2025 at 11:14 pm | Modified: Wednesday, 26 March 2025 at 11:14 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य

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आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नवजात के लिए 28 हजार रुपए का इंजेक्शन बाहर से मंगवाया गया दूसरे अस्पताल ने कहा इसकी जरूरत नहीं थी

सुल्तानिया अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बच्चे की नसों के उपचार के लिए विशेष इंजेक्शन लगाने की सलाह दी, जिसकी प्रति इंजेक्शन कीमत साढ़े छह हजार रुपये थी। कुल मिलाकर सात इंजेक्शन लगाए गए।

आयुष्मान कार्ड के बावजूद नवजात के लिए बाहर से मंगवाए 28 हजार रुपए के इंजेक्शन, दूसरे अस्पताल ने कहा - इसकी जरूरत ही नहीं थी
भोपाल में नवजात के इलाज के नाम पर मरीज से पैसे लूटने का मामला सामने आया।

HighLights

  1. नवजात शिशु के उपचार पर भी सवाल उठे, उसे आठ दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया।
  2. महंगे एंबुलेंस का उपयोग करने के लिए भी परिजनों पर दबाव डाला गया।
  3. चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के दिल में छेद है और सर्जरी की आवश्यकता है।

नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के सभी दावों के बावजूद अस्पतालों की लापरवाहियों के मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में हमीदिया की नई बिल्डिंग में स्थित सुल्तानिया अस्पताल का मामला सामने आया है, जहां आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नवजात के परिजनों को महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े। नवजात के पिता अशोक प्रजापति ने बताया कि उनकी पत्नी रिंकू प्रजापति ने चार मार्च को सुल्तानिया में बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चे का हृदय ठीक से काम नहीं कर रहा था, इसलिए उसे आठ दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के दिल में छेद है और सर्जरी की आवश्यकता होगी। इसके लिए उसे जेके अस्पताल, एम्स भोपाल, बंसल या रायपुर रेफर करने की बात कही गई। अस्पताल में छह मार्च से इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई, और इसके लिए 28 हजार रुपये के इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े, जबकि आयुष्मान योजना के तहत यह उपचार मुफ्त होना चाहिए था।

परिजनों को मजबूर किया गया इंजेक्शन खरीदने के लिए

पिता अशोक प्रजापति का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें जबरन कागजों पर साइन करवाकर महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, अस्पताल प्रबंधन ने नवजात को बाहर की एंबुलेंस से ले जाने की अनुमति नहीं दी और सिर्फ हमीदिया परिसर की एंबुलेंस से ही जाने को कहा। हमीदिया से बाहर जाने के लिए एंबुलेंस का किराया 2500 रुपये था, जबकि बाहर की एंबुलेंस से यह सेवा केवल 1000 रुपये में मिल सकती थी। मजबूरी में परिजनों को नवजात को हमीदिया की एंबुलेंस से ही जेके अस्पताल ले जाना पड़ा।

जेके अस्पताल में खुलासा, अधिक इंजेक्शन दिए गए

जब अशोक प्रजापति ने अपने बच्चे को जेके अस्पताल में ले गए, तो वहां के चिकित्सकों ने जांच करने के बाद बताया कि नवजात को केवल चार इंजेक्शन की जरूरत थी, जबकि सुल्तानिया अस्पताल में सात इंजेक्शन लगाए गए। चिकित्सकों ने यह भी स्पष्ट किया कि सर्जरी की आवश्यकता तो होगी, लेकिन इसे बाद में भी कराया जा सकता है।

स्वास्थ्य प्रणाली पर उठे सवाल

समाजसेवी मुकेश रघुवंशी ने कहा कि इस मामले ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आयुष्मान योजना के बावजूद मरीजों से उपचार के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं। सरकार को इस मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

इस मामले की पूरी जानकारी ली जाएगी। यदि बच्चे को गंभीर समस्या थी, तो उसे पीडियाट्रिक विभाग में भर्ती किया गया होगा। वहां किस डॉक्टर ने इंजेक्शन मंगवाए, इसकी जांच की जाएगी। हमारे अस्पताल में आयुष्मान कार्ड के जरिए ही दवाइयां और इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाते हैं।

डा. शबाना सुल्ताना, प्रमुख, सुल्तानिया अस्पताल।

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