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जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी स्कैंडल: स्टोररूम में नकदी मिलने का दावा निराधार! जस्टिस यशवंत वर्मा ने पेश किए सबूत, कहा

Justice Yashwant Verma Case: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने सरकारी आवास के … जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी स्कैंडल: स्टोररूम में नकदी मिलने का दावा निराधार! जस्टिस यशवंत वर्मा ने पेश किए सबूत, कहाRead more

Justice Yashwant Verma Case: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने सरकारी आवास के स्टोररूम में आग लगने और वहां कथित तौर पर नकदी मिलने के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए अपने विस्तृत उत्तर में कहा कि यह सब उन्हें बदनाम करने और फंसाने की एक साजिश है।

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जस्टिस वर्मा ने जानकारी दी कि जिस स्टोररूम में आग लगी, वह घर के कर्मचारियों और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पुराने फर्नीचर, क्रॉकरी, गद्दे, कालीन, बागवानी के औजार और सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) से संबंधित सामान रखने के लिए प्रयोग किया जाता था। यह कमरा पूरी तरह से खुला था और सभी के लिए सुलभ था, जिसमें प्रवेश के लिए दो गेट थे – एक आधिकारिक गेट और दूसरा स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे की ओर।

घटना के समय जस्टिस वर्मा दिल्ली में नहीं थे

जस्टिस वर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि जब यह घटना हुई, तब वह और उनकी पत्नी दिल्ली में नहीं थे। वे मध्य प्रदेश के दौरे पर थे और 15 मार्च की शाम को वापस लौटे थे। उस समय उनके सरकारी आवास में केवल उनकी बेटी और वृद्ध माता उपस्थित थीं।

आग लगने की सूचना तुरंत दमकल विभाग को दी गई

जस्टिस वर्मा ने बताया कि आग लगते ही उनकी बेटी और निजी सचिव ने तुरंत दमकल विभाग को सूचित किया। दमकलकर्मियों ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से घर के सभी लोगों और कर्मचारियों को घटनास्थल से हटा दिया। जब आग बुझने के बाद परिवार के सदस्य और स्टाफ वहां पहुंचे, तो उन्हें कोई नकदी या जला हुआ पैसा नहीं मिला।

जांच के बिना झूठे आरोप लगाए गए – जस्टिस वर्मा

जस्टिस वर्मा ने मीडिया पर भी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि बिना जांच के उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें फोन कर इस घटना की जानकारी दी थी, और उस समय इसे केवल शॉर्ट सर्किट से लगी आग बताया गया था। जब पुलिस आयुक्त द्वारा एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें कथित रूप से जली हुई नकदी दिखाई दे रही थी, तो वे हैरान रह गए।

जस्टिस वर्मा ने इस घटना को उनके खिलाफ फैलाए गए झूठे आरोपों से जोड़कर देखने की अपील की। उन्होंने दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ फैलाई गई झूठी अफवाहों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही मुख्य न्यायाधीश को इस मामले से अवगत करा दिया था।

स्टोररूम में कोई नकदी नहीं मिली – जस्टिस वर्मा

अपने उत्तर में, जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके और उनके परिवार के बैंक लेनदेन पूरी तरह से पारदर्शी हैं और सभी नकदी निकासी बैंकिंग प्रणाली, यूपीआई, और कार्ड के माध्यम से की जाती है। उन्होंने फिर से बताया कि जब उनकी बेटी, निजी सचिव और अन्य स्टाफ ने स्टोररूम का निरीक्षण किया, तो उन्हें वहां कोई नकदी नहीं मिली।

अपने जवाब में, जस्टिस वर्मा ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि उनके न्यायिक कार्यों की समीक्षा की जाए और बार एसोसिएशन से उनकी प्रतिष्ठा और ईमानदारी के बारे में राय ली जाए। उन्होंने कहा, ‘मेरे 10 साल से अधिक के न्यायिक जीवन में मेरी ईमानदारी पर कभी भी किसी ने संदेह नहीं किया, लेकिन इस झूठे आरोप ने मेरी साख को गहरा धक्का पहुंचाया है।’ अंत में, उन्होंने न्यायपालिका से इस झूठे और बेबुनियाद आरोप से मुक्त किए जाने की अपील की।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb