छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महादेव एप मामले के बाद अन्य एप्स पर की गई कार्रवाई और प्रतिबंधित एप्स की संख्या के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए निर्देशित किया है।
हाल ही में छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन सट्टेबाजी एप्स के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की पीठ ने गृह विभाग के सचिव, राज्य सरकार और केंद्र सरकार से हलफनामे के माध्यम से उत्तर देने को कहा है।
यह याचिका रायपुर निवासी सुनील नामदेव ने अधिवक्ता अमृतो दास के जरिए दायर की है। इसमें राज्य में चल रहे विभिन्न ऑनलाइन बेटिंग एप्स की वैधता और उन पर की गई कार्रवाई पर सवाल उठाए गए हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि भले ही राज्य सरकार ने ऑनलाइन सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन कई एप्स अभी भी खुलेआम संचालित हो रहे हैं, खासकर आईपीएल जैसे आयोजनों के दौरान।
जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि ऐसे एप्स की निगरानी के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित किया जाए ताकि भविष्य में युवाओं को इस अवैध गतिविधि से बचाया जा सके।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि शासन किसी विषय पर अनुमति देता है, तो उसकी निगरानी की जिम्मेदारी भी शासन की होती है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज का युग बदल गया है, जहां अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के लोग मौजूद हैं। लोग अब मेहनत के बजाय शॉर्टकट से पैसा कमाने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई वैधता और अवैधता के बीच की बारीक रेखा को पार न करे। महाधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि शासन द्वारा कई वेबसाइट्स और एप्स को ब्लॉक किया गया है, जो लोगों को सट्टा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जो एप्स अभी भी राज्य में सक्रिय हैं, उनकी पहचान कर नियमन की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें फर्जी विज्ञापनों और उनके गलत दावों पर ध्यान दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि जब लोग बिना मेहनत के पैसे कमाने की कोशिश करते हैं, तो यह समाज और अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन जाता है।
सुनवाई के दौरान एक ऐसे बेटिंग एप को भी पक्षकार बनाया गया है, जो वर्तमान में राज्य में सक्रिय रूप से संचालित हो रहा है। कोर्ट ने इस एप के संचालन और कानूनी स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगी है।