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मध्य प्रदेश के जबलपुर में जल्दी ही एक राष्ट्रीय वायरोलॉजी लैब की स्थापना की जाएगी। यह लैब मध्य भारत में खतरनाक वायरस से जुड़ी बीमारियों की पहचान और जांच के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बनेगी। इस लैब में वायरस से संबंधित नई बीमारियों पर अनुसंधान भी किया जा सकेगा।

HighLights
- जबलपुर में राष्ट्रीय वायरोलॉजी लैब की स्थापना से मिलेगी बड़ी राहत।
- लैब में खतरनाक वायरस की जांच के साथ-साथ शोध की सुविधा भी होगी।
- मध्य प्रदेश में इस वायरोलॉजी लैब के निर्माण में दो से तीन साल का समय लगेगा।
राज्य ब्यूरो, Newsstate24, भोपाल। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को राज्यसभा में खतरनाक वायरस से संबंधित बीमारियों की पहचान के लिए मध्य भारत में एक नई सुविधा शुरू करने की जानकारी दी।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में सेंट्रल इंडिया का पहला नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी) स्थापित किया जाएगा, जो कि पुणे में स्थित देश के एकमात्र एनआईवी की तर्ज पर होगा। मंत्री ने बताया कि जबलपुर के साथ बेंगलुरु, डिब्रूगढ़ और जम्मू में भी इसी प्रकार की लैब बनाई जाएंगी।
एमपी में प्रारंभ होगी जांच
जबलपुर में इस लैब के निर्माण के बाद घातक वायरसों की जांच मध्य प्रदेश में शुरू होगी। लैब के कार्यान्वयन में दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है। हर वर्ष वायरस से संबंधित एक या दो नई बीमारियां देशभर में फैलती हैं।
चूंकि एनआईवी पुणे में इन बीमारियों की जांच के लिए अधिक सैंपल आते हैं, इसलिए वहां हमेशा अत्यधिक दबाव रहता है। इसी कारण देश के विभिन्न हिस्सों में चार और लैब की स्थापना की जा रही है।
बीसीएल सेफ्टी मानक होता है
खतरनाक और अत्यधिक संक्रामक वायरस की जांच के लिए बायोलॉजिकल सेफ्टी लेवल-4 (बीएसएल) लैब की आवश्यकता होती है, जो एक निर्धारित मानक है। यह लैब इस प्रकार से डिज़ाइन की जाती हैं कि इनमें से संक्रमण फैलने की संभावना न रहे।
वर्तमान में मध्य प्रदेश के कुछ मेडिकल कॉलेजों में बीएसएल-2 स्तर की वायरोलॉजी लैब मौजूद हैं, जिससे खतरनाक वायरस की जांच नहीं हो पाती। इसके अलावा, स्टाफ भी इस तरह की जांच के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित नहीं होता।
लैब में इन बीमारियों की होगी जांच
यह लैब स्थापित होने पर जानवरों से मनुष्यों में आने वाली (जूनोटिक) बीमारियों जैसे प्लेग, निपाह वायरस, इबोला, जीका, हंपी वायरस, सार्स, एंथ्रेक्स, रिफ्ट वैली फीवर, मंकी पाक्स, काऊ पाक्स आदि की जांच की जा सकेगी।
वायरोलॉजी लैब में वायरस से होने वाली बीमारियों की जांच होती है, लेकिन एनआईवी में ऐसे बैक्टीरिया की भी जांच और अनुसंधान किया जा सकता है जिनका उपयोग जैविक आतंकवाद में किया जा सकता है।
साथ ही, वायरस से संबंधित नई बीमारियों पर अनुसंधान भी किया जाएगा, जिससे उनके फैलाव को रोका जा सके। छतरपुर में हनुखेड़ा के जंगल में पुलिस ने बदमाश लक्खू राजपूत को शॉर्ट एनकाउंटर में पकड़ा। बदमाश के पैर में गोली लगी है।