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मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने आदिवासी हत्या का आरोप लगाया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए। इस मामले में सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है।

HighLights
- प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार का आरोप।
- कांग्रेस विधायकों ने किया सदन से बहिर्गमन।
- सरकार ने परिवार को दी 10 लाख की सहायता।
राज्य ब्यूरो, नवदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को कांग्रेस विधायकों ने मंडला में आदिवासी को नक्सली बताकर हत्या करने का आरोप लगाते हुए जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस के सदस्यों ने प्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार की बात की।
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विक्रांत भूरिया, ओमकार सिंह मरकाम और नारायण सिंह पट्टा ने बताया कि बैगा आदिवासी विशेष पिछड़ी जनजाति का सदस्य है। जिस व्यक्ति को नक्सली बताकर मारा गया, वह एक सीधा-साधा ग्रामीण था, जो वनोपज एकत्र करके जीवन यापन कर रहा था।
सरकार की तरफ से नरेंद्र शिवाजी पटेल ने उत्तर देते हुए कहा कि एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं, जिसमें स्पष्टता आएगी। कार्रवाई मुखबिर की सूचना पर की गई थी। आत्मसमर्पण के लिए कहा गया था, लेकिन फायरिंग की गई।
सरकार ने 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की
आत्मरक्षा में हाकफोर्स के जवानों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें मंडला जिले के थाना खटिया क्षेत्र के ग्राम नारंगी लसेरी टोला के हीरन परते की मौत हुई। सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है।
अगर नक्सली कनेक्शन नहीं मिला तो एक करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी देंगे
कांग्रेस ने पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की मांग की। इस पर सदन में घोषणा की गई कि यदि जांच में नक्सली कनेक्शन नहीं पाया जाता है, तो परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
आसंदी के पास आकर नारेबाजी
इस घोषणा के बाद भी कांग्रेस के सभी विधायक आसंदी के सामने आकर नारेबाजी करने लगे और इसके बाद कुछ समय बाद सदन से बहिर्गमन कर दिया। दूसरी ओर, भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने सदन में कहा कि उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी और संबंधित अधिकारी को 31 मार्च के बाद हटा दिया जाएगा।