नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत को अब सपेरों के देश के रूप में नहीं पहचाना जाता, बल्कि यह अपनी ताकत और संभावनाओं से पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है। भारत अब विकास, नवाचार और परिवर्तन का प्रतीक बन चुका है।
वे तिरुवनंतपुरम में ‘लोकतंत्र, जनसंख्या, विकास और भारत का भविष्य’ विषय पर 4वें पी. परमेश्वरन मेमोरियल व्याख्यान के दौरान बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने चुनावी जनसांख्यिकी, अवैध प्रवास, ग्रामीण विकास और आर्थिक पुनर्जागरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात रखी।
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भारत के बदलते परिदृश्य पर उपराष्ट्रपति का दृष्टिकोण
1. भारत अब अपनी क्षमता से दुनिया को प्रभावित कर रहा है
धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की पहचान अब केवल एक पारंपरिक देश के रूप में नहीं, बल्कि एक मजबूत और उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में हो रही है।
🚀 तकनीकी प्रगति और आर्थिक सुधारों ने भारत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है।
🏗️ ग्रामीण विकास में आए बदलावों ने आम जनता के जीवन स्तर को ऊंचा किया है।
📡 डिजिटल क्रांति और कनेक्टिविटी ने भारत को आधुनिक दुनिया से जोड़ा है।
2. चुनावी जनसंख्या परिवर्तन: एक नई चुनौती
उपराष्ट्रपति ने भारत में जनसंख्या संरचना में हो रहे बदलावों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि कुछ इलाकों में चुनावी नतीजे पहले से तय हो जाते हैं।
🗳️ कुछ क्षेत्रों में चुनाव औपचारिकता मात्र रह गए हैं, क्योंकि वहां जनसंख्या संतुलन में बदलाव के कारण राजनीतिक परिणाम पहले से निर्धारित होते हैं।
⚖️ नीतिगत हस्तक्षेप से इन चुनौतियों का समाधान संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता भी आवश्यक है।
3. भारत में ग्रामीण विकास और आर्थिक पुनर्जागरण
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ है, जो कुछ साल पहले तक कल्पना से परे था।
🏠 हर घर तक शौचालय, बिजली, पानी और गैस कनेक्शन पहुंचा है।
🌐 इंटरनेट, सड़क और रेलवे कनेक्टिविटी से गांवों को शहरी सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है।
🏥 स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार किए गए हैं।
👉 अब सरकारी योजनाओं का लाभ जाति, धर्म, वर्ग से परे योग्यता के आधार पर उन लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, जो वंचित हैं।
4. जनसंख्या वृद्धि को बहुसंख्यकवाद से जोड़ना उचित नहीं
धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि जनसंख्या परिवर्तन और बहुसंख्यकवाद दो अलग-अलग चीजें हैं।
🔍 हमें समाज को इन दो खेमों में नहीं बांटना चाहिए।
⚠️ अगर जनसंख्या परिवर्तन को प्राकृतिक तरीके से होने दिया जाए, तो यह विविधता में एकता को मजबूत करता है।
🌍 लेकिन यदि जनसंख्या असंतुलन को “आभासी भूकंप” की तरह कृत्रिम रूप से बदला जाता है, तो यह गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि हम एक ऐसे मोड़ पर हैं, जहां इसे नज़रअंदाज भी नहीं किया जा सकता और सहन भी नहीं किया जा सकता। इसलिए, हमें सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है।
5. अवैध प्रवास: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।
⚠️ “एक राष्ट्र लाखों अवैध प्रवासियों का सामना कैसे कर सकता है?”
💼 ये प्रवासी हमारे रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों पर दबाव डालते हैं।
🗳️ धीरे-धीरे वे चुनावी राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं, जो लोकतांत्रिक संतुलन को बिगाड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक स्थिति है और इसे तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है। देश को इस मुद्दे पर जागरूक करना बेहद जरूरी है।
🔹 भारत अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है और अपनी ताकत से पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है।
🔹 चुनावी जनसांख्यिकी में बदलाव और अवैध प्रवास जैसे मुद्दों पर सतर्क रहने की जरूरत है।
🔹 ग्रामीण विकास और आर्थिक सुधारों के कारण भारत का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।
🔹 हमें जनसंख्या परिवर्तन को प्राकृतिक तरीके से आगे बढ़ने देना चाहिए, न कि इसे जबरन प्रभावित करना चाहिए।
🚀 यदि भारत को अपनी विकास यात्रा को और तेज़ करना है, तो हमें सतर्कता, जागरूकता और ठोस नीतिगत फैसलों की जरूरत है।
🔹 आपका क्या विचार है? भारत की इन चुनौतियों पर आपकी राय हमें कमेंट में बताएं!