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तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के बीच दो हजार करोड़ रुपये के बिल पर विवाद

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तेलंगाना राज्य की दो पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों द्वारा हर महीने बिजली बिल राज्य सरकार को संयुक्त रूप से भेजा जाता है। इस बिल का भुगतान एक महीने की समय सीमा के भीतर किया जाना होता है।

तेलंगाना-छत्तीसगढ़ के बीच सवा दो हजार करोड़ के बिल पर विवाद
तेलंगाना की दोनों कंपनियों को भी आर्बीट्रेटर नियुक्त करने के लिए कहा गया है।

HighLights

  1. छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (सीएसपीडीसीएल) वर्तमान में वित्तीय संकट का सामना कर रही है।
  2. मार्च 2023 में तेलंगाना ने कुल बकाया में 2100 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमति जताई थी।
  3. इस मामले को सुलझाने के लिए छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने ऑर्बीट्रेटर की नियुक्ति की है।

संदीप तिवारी, रायपुर। तेलंगाना के लिए बेची गई 3600 करोड़ रुपये की बिजली बिल में 2,321.33 करोड़ रुपये की राशि को लेकर विवाद चल रहा है। इससे पहले, मार्च 2023 में तेलंगाना ने बकाया राशि में 2100 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए सहमति दी थी।

हालांकि, तेलंगाना की पावर कंपनियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की पावर कंपनियों ने बकाया बिल को गलत तरीके से तैयार किया है। इस कारण छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (सीएसपीडीसीएल) वित्तीय दबाव में है।

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यह जानना जरूरी है कि तेलंगाना राज्य की दोनों पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को हर महीने बिजली बिल राज्य सरकार के माध्यम से भेजा जाता है। इसका भुगतान बिल जारी होने के एक महीने के भीतर किया जाता है।

अब राज्य सरकार ने बकाया राशि के लिए छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को ऑर्बीट्रेटर नियुक्त किया है। इसके साथ ही तेलंगाना की दोनों कंपनियों को भी ऑर्बीट्रेटर नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है।

कांग्रेस सरकार के दौरान भूपेश ने तेलंगाना को पत्र लिखा था

जून 2020 में, तब के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को एक पत्र लिखा था। उन्होंने बताया था कि सीएसपीडीसीएल के करोड़ों रुपये के विद्युत बिल तेलंगाना राज्य की पावर कंपनी पर बकाया हैं, जिससे सीएसपीडीसीएल वित्तीय संकट में है।

सितंबर 2015 में हुआ था पीपीए

छत्तीसगढ़ में राज्य क्षेत्र के तहत स्थापित 1000 मेगावाट क्षमता की अटल बिहारी ताप विद्युत परियोजना (मड़वा) के माध्यम से विद्युत आपूर्ति के लिए सीएसपीडीसीएल और तेलंगाना राज्य की पावर कंपनियों के बीच 22 सितंबर 2015 को एक दीर्घकालिक पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके तहत तेलंगाना राज्य को निरंतर विद्युत आपूर्ति की जा रही है।

बिजली में निवेश पर चिंता बनी हुई है

छत्तीसगढ़ पहले से ही 30,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है, जो देश के औसत से अधिक है। अब हर व्यक्ति को 2,048 किलोवाट-घंटे बिजली मिल रही है, जिससे राज्य की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी हो रही हैं। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एनटीपीसी 80,000 करोड़ रुपये की लागत से 4200 मेगावाट क्षमता का न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट लगाने की योजना बना रहा है।

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इसी तरह, अदाणी पावर 66,720 करोड़ रुपये खर्च कर कोरबा, रायगढ़ और रायपुर में 1600-1600 मेगावाट के तीन थर्मल पावर प्लांट स्थापित करेगा। जिंदल पावर रायगढ़ में 1600 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 12,800 करोड़ रुपये का निवेश करेगा, जबकि सरदा एनर्जी रायगढ़ में 660 मेगावाट क्षमता के प्लांट के लिए 5,300 करोड़ रुपये लगाएगी।

इसके अतिरिक्त, सरकारी कंपनियां एनटीपीसी और सीएसपीजीसीएल 41,120 करोड़ रुपये की लागत से 4500 मेगावाट बिजली उत्पादन करेंगी। जिंदल पावर और एनटीपीसी ग्रीन मिलकर 10,000 करोड़ रुपये खर्च कर 2500 मेगावाट सौर बिजली का उत्पादन करेंगे।

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इसमें डोलेसरा में 500 मेगावाट और रायगढ़ में 2000 मेगावाट के सौर प्लांट शामिल होंगे। पीएम सूर्यघर के माध्यम से भी लोगों को सौर पावर उपलब्ध कराया जा रहा है। अब चिंता यह है कि बिजली का उपयोग कहां किया जाए। वर्तमान में छत्तीसगढ़ से केवल तेलंगाना राज्य की दो पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां और मध्य प्रदेश से एक विद्युत वितरण कंपनी बिजली खरीद रही हैं।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb