मध्यप्रदेश के गरोठ में तीन मित्र मिलकर बिना मिट्टी के चाइनीज खीरा उगाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने 2 बीघा जमीन पर इस खेती की शुरुआत की है और इसके लिए 42 लाख रुपए का लोन भी लिया है। पिछले चार महीनों में इन दोस्तों ने 11 लाख रुपए का मुनाफा कमाया है। दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में हम आपको मंदसौर के बोलिया नगर इलाके में ले चलते हैं, जहां दीपक पाटीदार, मोहम्मद आदिल अफगानी और मोहित पाटीदार नामक तीन दोस्त रहते हैं। ये सभी पोस्ट ग्रेजुएट हैं और हाइड्रोपोनिक सॉइल तकनीक के माध्यम से चाइनीज खीरा उगाते हैं। उनका दावा है कि वे सालभर में लगभग 40 लाख रुपए से अधिक का मुनाफा कमाएंगे।
इन तीनों दोस्तों ने चाइनीज खीरे की सफलता को देखते हुए अब शिमला मिर्च को भी इसी तकनीक से उगाने का निर्णय लिया है। उन्होंने पॉली हाउस बनाने के लिए 55 लाख रुपए खर्च किए। दीपक पाटीदार बताते हैं कि पहले वे पारंपरिक खेती के जरिए गेहूं और अन्य फसलें उगाते थे, लेकिन मुनाफा बहुत कम होता था। कई बार तो उनकी लागत भी नहीं निकल पाती थी। लगभग एक साल पहले, उन्होंने यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक तकनीक के बारे में देखा और इसे आजमाने का निर्णय लिया।
इस तकनीक से उत्पादन बढ़ता है और फंगस तथा अन्य रोगों का प्रकोप भी कम होता है। इसके बाद उन्होंने पॉली हाउस के लिए 42 लाख रुपए का लोन लिया और कुल 55 लाख रुपए खर्च किए। यहां ग्रीन हाउस लगाया गया, जिसमें शासन से मिलने वाली 25 लाख की सब्सिडी ने उन्हें पॉली हाउस लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। हाइड्रोपोनिक सॉइल तकनीक से बिना मिट्टी के खीरे की खेती शुरू की गई और महज चार महीनों में 11 लाख रुपए की आमदनी हुई।
दीपक ने कहा कि इस तकनीक से साल में तीन बार खीरे का उत्पादन संभव है। अगर सब कुछ सही रहा, तो उन्हें सालाना 30 से 40 लाख रुपए से अधिक की आमदनी होने की उम्मीद है।
किसान मोहित पाटीदार ने बताया कि पहली बार में पानी का पीएच मेंटेन नहीं कर पाने के कारण उत्पादन कुछ कम रहा, जिसमें लगभग 40 टन खीरे का उत्पादन हुआ। दूसरी फसल में 50 से 60 टन का अनुमान है। अगर बाजार में ₹25 किलो भी मिलते हैं, तो लगभग 15 लाख रुपए की आमदनी हो जाएगी। मोहित ने कहा कि ग्रीन हाउस के लिए उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन आदिल के पिता मोहम्मद सलीम अफगानी ने उनके प्रोजेक्ट को समझने के बाद सहमति दी।
आदिल के पिता मोहम्मद सलीम अफगानी ने कहा कि जब बच्चों ने बिना मिट्टी के खेती करने की योजना बनाई, तो उन्हें आशंका थी कि ये बच्चे कर्ज में डूब जाएंगे। लेकिन अब उन्हें लगता है कि बच्चों ने सही रास्ता अपनाया है और वे खेती के माध्यम से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।