गौतम अडाणी को अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (US SEC) द्वारा अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी के मामले में समन भेजा गया है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को इस समन को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट को सौंपा है, ताकि इसे गौतम अडाणी के पते पर पहुंचाया जा सके। यह समन 1965 की हेग संधि के तहत भेजा गया है। इस संधि के अंतर्गत, किसी भी विवाद से जुड़े देश एक-दूसरे के नागरिकों को कानूनी दस्तावेज सौंपने में सहायता के लिए सीधे अनुरोध कर सकते हैं।
अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोप पिछले साल अडाणी सहित 8 व्यक्तियों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। अटॉर्नी ऑफिस के आरोप पत्र के अनुसार, अडाणी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी आरोप अडाणी पर लगाया गया था। आरोपियों ने अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से गलत जानकारी देकर धन जुटाया। यह मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से संबंधित था। यह केस 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दर्ज किया गया था। उल्लेखनीय है कि भारत 2006 में हेग संधि में शामिल हुआ था।
15 नवंबर 1965 को नीदरलैंड के हेग शहर में 84 देशों के बीच एक संधि हुई थी, जिसमें व्यापारिक मामलों में कानूनी दस्तावेज संबंधित व्यक्ति या संस्था तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया था। भारत कुछ शर्तों के साथ इस संधि में शामिल हुआ था। हाल के समय में अडाणी कई विवादों में घिरे रहे हैं। आइए, उनके कुछ प्रमुख विवादों पर एक नज़र डालते हैं।
पहला विवाद: हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप। जनवरी 2023 में, गौतम अडाणी की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज ने 20,000 करोड़ का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर लाने की घोषणा की थी। इस ऑफर को 27 जनवरी 2023 को खोला जाना था, लेकिन उससे पहले 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर मैनिपुलेशन के आरोप लगाए गए। 25 जनवरी तक, ग्रुप के शेयरों की मार्केट वैल्यू लगभग 12 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख करोड़ रुपए) कम हो गई। हालांकि, अडाणी ने किसी भी गलत काम के आरोपों से इनकार किया। इसके परिणामस्वरूप, अडाणी ग्रुप ने अपना 20,000 करोड़ का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर भी रद्द कर दिया। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और सेबी ने भी इस मामले की जांच की। कोर्ट के फैसले के बाद, अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा था, “कोर्ट के फैसले से यह साबित होता है कि सत्य की विजय हुई है। सत्यमेव जयते। मैं उन सभी का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की ग्रोथ स्टोरी में हमारा योगदान जारी रहेगा। जय हिन्द।”
दूसरा विवाद: लो-ग्रेड कोयले को हाई-ग्रेड में बेचने का आरोप। एक महीने पहले, फाइनेंशियल टाइम्स ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि जनवरी 2014 में अडाणी ग्रुप ने एक इंडोनेशियाई कंपनी से 28 डॉलर (करीब 2360 रुपए) प्रति टन की दर से ‘लो-ग्रेड’ कोयला खरीदा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शिपमेंट को तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) को उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के रूप में 91.91 डॉलर (करीब 7750 रुपए) प्रति टन की औसत कीमत पर बेचा गया था। अडाणी ग्रुप पर पहले कोल इम्पोर्ट बिल में भी हेराफेरी के आरोप लगे थे।
इसके अलावा, नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, नए साल में अडाणी की नेटवर्थ ₹1.03 लाख करोड़ गिर गई है। यह आंकड़ा इलॉन मस्क के बाद सबसे अधिक गिरावट है, क्योंकि मस्क की नेटवर्थ ₹3.05 लाख करोड़ कम हुई है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के अनुसार, अडाणी 5.8 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ 23वें नंबर पर हैं।