भारतीय खिलौना उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न हुआ है। अमेरिका द्वारा चीन, वियतनाम, बांग्लादेश और अन्य देशों पर लगाए गए उच्च टैरिफ के चलते भारत अब एक प्रतिस्पर्धी निर्यातक के रूप में उभरने के लिए तैयार है। निर्यातकों का मानना है कि भारतीय खिलौना निर्माता इस मौके का पूरा लाभ उठाने के लिए पहले से ही उत्पादन क्षमता में वृद्धि और वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी के प्रयास कर रहे हैं।
भारत के लिए कम टैरिफ की स्थिति में बड़ी संभावनाएं हैं। हाल ही में अमेरिका ने भारत से आने वाले खिलौनों पर 26 फीसदी का आयात शुल्क लगाया है, जबकि चीन पर यह 54 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी, बांग्लादेश पर 37 फीसदी, इंडोनेशिया पर 32 फीसदी और थाईलैंड पर 36 फीसदी है। इस प्रकार, भारत एक तुलनात्मक रूप से सस्ता विकल्प के रूप में उभरा है।
भारत का खिलौना निर्यात पिछले तीन वर्षों में लगातार मजबूत बना हुआ है। इसका निर्यात 32.6 करोड़ डॉलर से बढ़कर 34.8 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुका है। इसके अलावा, अगर अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता जल्द होता है, तो भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में और भी मजबूती मिल सकती है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए अपने उत्पादन ढांचे का विस्तार करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा उठाए गए कदम जैसे गुणवत्ता मानकों और सीमा शुल्क बढ़ाने ने भारतीय कंपनियों को चीनी आयात से हटकर आत्मनिर्भर बनने में सहायता प्रदान की है।
2012-13 में भारत का चीन से खिलौना आयात 21.4 करोड़ डॉलर था, जो 2023-24 में घटकर 4.16 करोड़ डॉलर रह गया है। इस दौरान चीन की बाजार हिस्सेदारी 94 फीसदी से घटकर 64 फीसदी तक आ चुकी है।
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