विपक्ष ने मोदी सरकार को निशाना बनाया: राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार (18 मार्च, 2025) को सरकार की स्वास्थ्य नीतियों की तीखी आलोचना की और यह दावा किया कि भारत कई स्वास्थ्य मानकों में अपने पड़ोसी देशों से भी पीछे है।
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तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने सरकार पर पश्चिम बंगाल के साथ आर्थिक भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मनरेगा सहित कई योजनाओं की धनराशि केंद्र सरकार द्वारा रोकी जा रही है, जबकि राज्य ने सभी आवश्यकताओं को पूरा किया है। उन्होंने फर्जी दवाइयों पर रोक लगाने और जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई। राय ने कहा, “पानी में जहर, हवा में जहर, भोजन में जहर। यह अमृतकाल नहीं, बल्कि जहरकाल है।”
टीबी और डेंगू पर नियंत्रण में सरकार की असफलता
कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार टीबी उन्मूलन के 2025 के लक्ष्य को पूरा करने में पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने कहा, “दुनिया के 25% टीबी रोगी भारत में मौजूद हैं। डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। भारत में कुपोषण की स्थिति बांग्लादेश से भी खराब है। उन्होंने जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाए और कहा कि एम्स और मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है।
आयुष्मान योजना पर आम आदमी पार्टी का आरोप
आप सांसद संदीप कुमार पाठक ने आयुष्मान भारत योजना को “दुनिया का अजूबा” बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना मरीजों की जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए अस्पतालों के हित में बनाई गई है। गैर-जरूरी ऑपरेशनों का संचालन किया जा रहा है, जबकि जरूरी सर्जरी को टाला जा रहा है। मध्य वर्ग की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। स्वास्थ्य बजट और सरकारी अस्पतालों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की गई।
वाईएसआर कांग्रेस के गोला बाबूराव और बीजद की सुलता देव ने स्वास्थ्य बजट में अपर्याप्त आवंटन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राजकीय अस्पतालों की सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता है। आयुष्मान योजना में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है, गुजरात में 3000 फर्जी कार्ड बनाए गए, जिनकी कीमत 1500 रुपये प्रति कार्ड थी। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित बजट का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता।
भाजपा की प्रतिक्रिया और सत्यापन का आग्रह
भाजपा सांसदों ने विपक्ष के आरोपों का विरोध किया और सुलता देव से उनके दावों को प्रमाणित करने की मांग की। इस पर पीठासीन उपाध्यक्ष एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि यदि कोई दस्तावेज़ है, तो उसे सदन में पेश किया जाए। विपक्ष ने सरकार पर स्वास्थ्य क्षेत्र में लापरवाही, धोखाधड़ी और अपर्याप्त बजट का आरोप लगाया। वहीं, भाजपा सांसदों ने इन दावों के सत्यापन की मांग की। सरकार को अब टीबी, कुपोषण और चिकित्सा शिक्षा जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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