मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर और जहानगढ़ में दो नए वन्य जीव अभयारण्य की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वन अधिकारियों को वन्यजीवों के संरक्षण के संबंध में निर्देश देते हुए कहा कि मगरमच्छों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर रखने के लिए उन्हें खाली पड़ी नदियों में पुनः स्थापित किया जाए। उन्होंने विशेषज्ञों को आमंत्रित कर कार्यशालाओं और संयुक्त बैठकों का आयोजन करने पर भी जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 28वीं बैठक में इन दो नए अभयारण्यों की स्थापना को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि राज्य में वन्य जीव पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, और सरकार वन्यजीवों तथा जलीय जंतुओं के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। प्रदेश में बाघ, तेंदुआ, चीता, हाथी, घड़ियाल और गिद्धों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो राज्य सरकार के प्रयासों का सकारात्मक परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन्य जीव संरक्षण को पर्यटन से जोड़ा जाएगा। हाल ही में हुई गिद्ध जनगणना (17-19 फरवरी 2025) में प्रदेश में 12,981 गिद्ध पाए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19% अधिक हैं। बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि उज्जैन जिले के नौलखी में वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर कम जू प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए इसे वन्य जीव पर्यटन के नजरिए से विकसित करने के निर्देश दिए।
जबलपुर जिले में भी एक वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश में असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से गैंडों और दक्षिण अफ्रीका से जिराफ लाने की संभावनाएं खोजी जाएं। उन्होंने पर्यटन स्थलों और वन्यजीव अभयारण्यों के आकर्षक वीडियो तैयार करने और उन्हें व्यापक रूप से प्रसारित करने के लिए निर्देश दिए।
बैठक में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति विजय मनोहर तिवारी ने सुझाव दिया कि प्रदेश के जंगलों में स्थित जनजातीय और प्राचीन धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण और अभिलेखीकरण किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय वन संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनके धार्मिक स्थलों तक पहुँचने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने वन्यजीव पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने के लिए वन्यप्राणी बोर्ड के 33 में से 30 प्रस्तावों को मंजूरी दी। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में 10 घड़ियाल और कूनो नेशनल पार्क में 5 वयस्क चीते छोड़े थे। इसके अतिरिक्त, माधव नेशनल टाइगर रिजर्व (शिवपुरी) के लोकार्पण के दौरान एक बाघिन को उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया था।
इस प्रकार, मध्यप्रदेश अपने वन्यजीव पर्यटन को और अधिक मजबूत कर रहा है, जिससे न केवल जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन जाएगा।