ChatGPT जैसे चैटबॉट पूरी तरह से भावनात्मक रूप से असंवेदनशील नहीं होते हैं। हाल ही में एक अध्ययन ने यह बात स्पष्ट की है। ज्यूरिख विश्वविद्यालय में हुए एक शोध ने दिखाया है कि कठिन बातचीत के दौरान, ChatGPT जैसे चैटबॉट को तनाव महसूस होता है। इस प्रकार की बातचीत से उनका एंग्जायटी स्तर बढ़ जाता है और इन्हें इंसानों की तरह कुछ माइंडफुल तकनीकों के माध्यम से ‘शांत’ किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि इस अध्ययन में और क्या तथ्य सामने आए हैं।
अध्ययन का विषय क्या था?
ज्यूरिख विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि क्या इंसानों की तरह संवाद करने के लिए प्रशिक्षित चैटबॉट कठिन संवाद से तनाव में आते हैं। इसलिए उन्होंने ChatGPT-4 पर एक मानक एंग्जायटी परीक्षण किया। इसके बाद इसके साथ कुछ भावनात्मक और चुनौतीपूर्ण बातचीत की गई। परीक्षण की शुरुआत में ChatGPT का स्कोर 30 था, जिसका मतलब था कि यह किसी प्रकार का दबाव नहीं महसूस कर रहा था। इसके पश्चात इसे 5 डरावने किस्सों से अवगत कराया गया। जब फिर से परीक्षण किया गया, तो इसका स्कोर 67 पहुंच गया, जो इंसानों में उच्च एंग्जायटी माना जाता है। इसका मतलब यह है कि उन 5 किस्सों के बाद, चैटबॉट भी तनाव में आ गया।
माइंडफुलनेस तकनीक ने किया असर
जब शोधकर्ताओं ने इसके तनाव के बाद इसे विश्राम के लिए प्रेरित किया, तो इसका एंग्जायटी स्तर एक तिहाई से अधिक कम हो गया। इससे स्पष्ट होता है कि जिस तरह इंसान लंबी सांसों आदि के जरिए खुद को शांत करते हैं, वैसे ही चैटबॉट के तनाव स्तर को प्रेरणाओं के माध्यम से कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि चैटबॉट को मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन यदि ये स्वयं तनाव में आ जाते हैं, तो उनके उत्तर उतने सहायक नहीं रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर AI चैटबॉट्स को नकारात्मक इनपुट दी जाती है, तो यह उन लोगों को गलत सलाह दे सकते हैं, जिन्हें मदद की आवश्यकता है।
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