बजट सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के ‘ठोकेंगे’ वाले बयान पर काफी हंगामा हुआ। दरअसल, डिप्टी चेयरमैन ने दिग्विजय सिंह को बोलने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन खड़गे बीच में ही अपनी बात रखने लगे। इस पर डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने उन्हें टोका और कहा कि उन्होंने सुबह ही बोल दिया है।
खड़गे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ये क्या डिक्टेटरशिप है। मैं हाथ जोड़कर आपसे बोलने की अनुमति मांग रहा हूं।” हरिवंश ने कहा कि अभी दिग्विजय सिंह बोलने का अवसर है, इसलिए उन्हें बैठ जाने के लिए कहा गया। इसके बाद खड़गे ने कहा, “वो तो बोलेंगे ही, लेकिन आपको क्या-क्या ठोकना है, हम सही से ठोकेंगे, सरकार को भी ठोकेंगे।”
जब हरिवंश ने खड़गे के इस बयान पर आपत्ति जताई, तो खड़गे ने स्पष्टीकरण दिया कि वे सरकार की नीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने इस पर खड़गे से खेद जताने के लिए कहा और कहा, “नेता विपक्ष की ओर से आसन के लिए इस तरह की भाषा स्वीकार नहीं की जा सकती। उन्हें माफी मांगनी चाहिए।” नड्डा ने उपसभापति हरिवंश से यह भी मांग की कि ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाए।
इसके बाद, खड़गे ने सदन में खड़े होकर स्पष्ट किया, “मैंने आसन के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। यदि आपको मेरी बातों से ठेस पहुंची है, तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। मैंने ‘ठोको’ शब्द का इस्तेमाल सरकार की नीतियों के संदर्भ में किया है। मैं सरकार से माफी नहीं मांगूंगा।”
इसके अलावा, संसद के बाहर DMK ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और त्रिभाषा नीति के खिलाफ प्रदर्शन किया। DMK सांसद कनिमोझी और अन्य सांसद काले कपड़े पहनकर धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी का विरोध कर रहे थे। उन्होंने प्रधान से माफी मांगने की मांग की।
कनिमोझी ने कहा, “केंद्र सरकार तमिलनाडु को मिलने वाले पैसे को रोक रही है। वे कह रहे हैं कि हमें त्रिभाषा नीति और NEP पर हस्ताक्षर करने हैं। यह तमिलनाडु के बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रहा है। उन्हें इस फंड को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। धर्मेंद्र प्रधान ने अपमानजनक तरीके से जवाब दिया और कहा कि हम बेईमान हैं और तमिलनाडु के लोग असभ्य हैं। हमें उनसे ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं थी। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। हम माफी की मांग करते हैं।”
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